मकर संक्रांति भी इनमें से एक है। ये त्योहार सूर्य के मकर राशि में आने की खुशी में मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 15 जनवरी, रविवार को मनाया जाएगा। पंजाब में इसे लोहड़ी कहते हैं, दक्षिण भारत में पोंगल और उत्तर प्रदेश में खिचड़ी पर्व। यानी देश के हर हिस्से में इसे अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे और भी कई कारण है, लेकिन आमजन इसके बारे में नहीं जानते। आज हम आपको मकर संक्रांति से जुड़ी खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
गंगा सागर में हुआ था गंगा का मिलन
धर्म ग्रंथों के अनुसार, मकर संक्रांति पर दिन देवनदी गंगा भगीरथजी के पीछे-पीछे चलते हुए गंगासागर में मिली थी। इसलिए हर साल गंगा सागर में मकर संक्रांति के मौके पर मेला लगता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जब गंगा नदी का गंगा सागर में मिलन हुआ तो राजा भगीरथ ने वहां अपने पितरों के लिए तर्पण किया, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।
सूर्यवंशी राजा करते थे सूर्य की पूजा
वाल्मीकि रामायण में सूर्यवंशी राजाओं का वर्णन है। श्रीराम भी इनमें से एक थे। सूर्यवंशी राजा प्रतिदिन सूर्यदेव की पूजा करते थे क्योंकि उनकी उत्पत्ति सूर्यदेव से हुई मानी जाती थी। मकर संक्रांति पर सूर्यवंशी राजा सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से करते थे, जिसे देखकर अन्य लोग भी सूर्यदेव की पूजा करने लगे। भगवान श्रीराम द्वारा भी मकर संक्रांति पर सूर्यपूजा का वर्णन मिलता है।
इस दिन से शुरू होता है देवताओं का दिन
धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूर्य की दो गति बताई गई है उत्तरायण और दक्षिणायन। दक्षिणायन को देवताओं की रात और उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर गति करने लगता है, जिसे उत्तरायण कहते हैं। ये राशि परिवर्तन हर साल 14-15 जनवरी को होता है। इसलिए इस मौके पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
पिता-पुत्र के मिलन का उत्सव है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति पर्व का एक आध्यात्मिक पक्ष भी है। मकर शनि के स्वामित्व की राशि है। जब सूर्य इस राशि में प्रवेश करते हैं तो ऐसा कहा जाता कि पिता (सूर्य) अपने पुत्र (शनि) से मिलने उनके घर जा रहे हैं। सूर्य अपने पिता का स्वागत करते हैं और इस तरह पिता-पुत्र एक-दूसरे से मिलकर प्रसन्न होते हैं। जो व्यक्ति इस दिन सूर्य के साथ शनिदेव की भी पूजा करता है, उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
खत्म होता है खर मास
मकर राशि में प्रवेश करने से पहले सूर्य धनु राशि में रहता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि में रहता है तो इसे खर मास कहते हैं। जब तक सूर्य धनु राशि में रहता है किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते। सूर्य के मकर राशि में आते ही खर मास समाप्त हो जाता है और शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाती है। इसी मौके पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
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