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संवाददाता
यूनिक समय, वृंदावन। सुबह-सुबह का वक्त। यमुना में तैरती लोहे की परात। परात में रखे कपड़े। हवा के झोकों से उड़ते कपड़ों के बीच निकलती बच्चे जैसी आवाज। आसमान से उस पर आती भगवान भास्कर की किरणें। इस नजारे पर आसपास टहल रहे लोगों की नजर पड़ी तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। वह यमुना किनारे पहुंचे तो देखकर हैरान रह गए। यमुना में पानी की धारा के बीच बहती परात में कपड़ों के बीच नवजात शिशु (कन्या) थी।
शायद कोई लोक लाज के कारण उसे परात में रखकर यमुना में पानी की लहरों के बीच छोड़ गया। अब मासूम कन्या जब बड़ी होगी और होश संभालेगी, तब उसे यह पता चलेगा कि उसकी मां ने उसे यमुना में फिंकवाया था, जब वह उसके सामने एक ही प्रश्न होगा ओ मां इसे यमुना में क्यों फिंकवाया? परात में कन्या को देखकर हर किसी के मुंह से सिर्फ यही निकल रहा था।
कन्या की मां का कितना कठोर दिल होगा। उसने नौ माह तक अपनी कोख में पालने के बाद कन्या को इस तरह से यमुना महारानी की गोद में सौंप दिया। लोगों के मन में तमाम शंका पैदा हो रही थीं। खैर, कुछ भी हो.. यहां ‘जाकौ राखै साइयां मार सके न कोय’ कहावत चरितार्थ हुई। लोगों ने यमुना की लहरों के बीच से परात को निकाल लिया। सूचना पर अद्धा पुलिस चौकी प्रभारी मनोज कुमार शर्मा फोर्स के साथ पक्के पुल के पास यमुना घाट पहुंचे। परात में सफेद स्वाफी से लिपटे नवजात शिशु (कन्या) को अस्पताल भिजवाया। खबर लिखे के जाने समय तक कन्या जीवित है।
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