नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर का असर अब धीरे-धीरे कम होने लगा है। पिछले महीने हर रोज़ करीब 4 लाख नए केस सामने आ रहे थे। लेकिन अब इन दिनों हर दिन संक्रमितों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है। लेकिन चिंता की बात ये है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसी परेशानियों को डॉक्टर ‘लॉन्ग कोविड’ का नाम दे रहे हैं। यानी वो बीमारियां जो कोरोना के बाद लोगों को लंबे समय तक परेशान करती हैं। न्यूज चैनल ने मरीज़ों की इन्हीं परेशानियों को लेकर एक सीरीज़ की शुरुआत की है। इसके तहत कोरोना से होने वाली बीमारियों के बारे में डॉक्टरों की राय और उससे जुड़े समाधान के बारे में चर्चा की जा रही है।
आज राजन डेंटल इंस्टीट्यूट के मेडिकल डायरेक्टर और चेन्नई डेंटल रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ गुनासीलन राजन बता रहे हैं कि कैसे कोरोना से ठीक होने के बाद दांतों की स्वच्छता को नजरअंदाज नहीं करना चाहि। डॉक्टर के मुताबिक लंबे वक्त तक दातों से खून आना खतरे की घंटी हो सकती है।
न करें नजरअंदाज़
न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए डॉक्टर राजन ने कहा कि कोविड -19 महामारी के दौरान लोग डेंटिस्ट के पास जाने से डर रहे हैं। दरअसर दांतों के इलाज ने डॉक्टर और मरीज़ दोनों के मन में डर पैदा कर दिया है। डेंटिस्ट बेहद करीब से दांतों को देखते हैं लिहाज़ा कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टर ने कहा, ‘कई मरीज़ जो कोरोना से ठीक हो गए हैं और उन्हें दांतों में दिक्कत है वो डॉक्टरों के पास जाने से डरते हैं। अगर मरीज इंतजार करना जारी रखते हैं, तो साधारण दिखने वाले अल्सर या गांठ भी महीनों तक नजरअंदाज किए जाने पर कैंसर में बदल सकते हैं। इसके अलावा म्यूकोर्मिकोसिस यानी ब्लैक फंगस का भी खतरा बना रहता है। मैंने खुद देखा है कि मरीजों ने ब्लैक फंगस जैसी चीजों को शुरुआत में नजरअंदाज किया तो बाद में होने में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
स्वच्छता बनाए रखें
डॉक्टर ने कहा कि कोविड के ठीक होने के बाद दांतों की समस्याओं के समाधान के लिए पहला कदम दांतों की अच्छी स्वच्छता बनाए रखना है। ‘उदाहरण के लिए, रात को सोने से पहले दांतों को ब्रश करना, फ़्लॉसिंग आदि. कोविड के दौरान दिन में तीन बार 1 प्रतिशत पोविडोन- आयोडीन माउथवॉश का उपयोग करना और एक महीने बाद भी जारी रखना भी अहम है।
बढ़ सकता है खतरा
गम हेल्थ को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है. डॉक्टर ने कहा ‘मसूड़ों के स्वास्थ्य को अच्छे स्तर पर रखा जाना चाहिए क्योंकि खराब गम स्वास्थ्य मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकता है। इसलिए, डेंटिस्ट के साथ नियमित जांच और लगातार अल्ट्रासोनिक स्केलिंग आवश्यक है. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि मसूड़ों में दर्द या दांत दर्द आदि जैसे लक्षणों की अचानक शुरुआत को नजरअंदाज न करें, क्योंकि वे भी ब्लैक फंगस के के लक्षण हो सकते हैं।
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