कभी मां नहीं बन पाएगी महिला: अस्पताल की लापरवाही से गर्भ में बच्चे की मौत

बीजापुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ करने का मामला सामने आया है.

बीजापुर. छत्तीसगढ़ के जिस बीजापुर जिले की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना को लॉन्च किया था, वहीं के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. ताजा मामला मरीजों की ब्लड रिपोर्ट में गडबड़ियां आने को लेकर है. दरअसल बीते लगभग 15 दिन से ब्लड जांच करने वाली ऑटोमेटिक सीबीसी एनालाइजर मशीन में तकनीकी खराबी आ गई है. इस कारण से ब्लड रिपोर्ट में प्लेटलैट्स की संख्या काफी कम बतायी जा रही थी, इसे देखते हुए अधिकांश मरीजों को जगदलपुर रेफर किया जा रहा था.

गलत रिपोर्ट ने जीवन भर का दर्द दिया
न्यूज़ 18 की पड़ताल में हमें दो ऐसे मरीज मिले, जिसमें से एक ने अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को हमेशा के लिए खो दिया. संतोष पटनायक की पत्नी ज्योति पटनायक आठ माह की गर्भ की प्लेजेंटा प्रीवीया पेसेंट थीं. सितंबर माह में ज्योति को प्रसव पीड़ा हुई, जिसके बाद उसे जिला चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया. यहां ज्योति का ब्लड टेस्ट किया गया, जिसमें उसके प्लेटलैट्स की संख्या मात्र 72 हजार बताया गया. इस वजह से ज्योति को आनन-फानन में जगदलपुर स्थित मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. यहां ब्लड रिपोर्ट में ज्योति का प्लैटलैटस 2 लाख 23 हजार बताया गया, मतलब कि ज्योति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में प्लेटलैटस थे. ज्योति प्लेजेंटा प्रीवीया पेसेंट थीं, इसलिए ऐसी हालत में सफर करने के कारण गर्भ में पल रहे उसके बच्चे की मौत हो गई.

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छत्तीसगढ के अंतिम छोर में बसे बीजापुर का जिला चिकित्सालय बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैय्या कराने के नाम पर हमेशा सुर्खियों में रहा है.

अब मां नहीं बन सकती

ज्योति के पति संतोष पटनायक ने बताया कि जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में ही ऑपरेट कर के मृत बच्चे को गर्भ से निकाल लिया गया. मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों (डॉक्टरों) ने बताया कि ज्योति अब फिर कभी मां नहीं बन सकती. दोनों का आरोप है कि जिला चिकित्सालय बीजापुर अस्पताल के प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा उन्हें जिंदगी भर भुगतना होगा.

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इनकी रिपोर्ट भी गलत

वहीं एक दूसरे मामले में सर्दी-खांसी और हल्के बुखार से पीड़ित बच्ची शीतल को उसके पिता राजेश जैन ईलाज के लिए जिला चिकित्सालय बीजापुर ले आए थे. यहां खून जांच करने पर शीतल के प्लेटलैट्स मात्र 22 हजार बताया गया. जो कि जानलेवा बीमारी डेंगू की स्थिति में होता है. घबराये परिजन बीमार बच्ची को लेकर जगदलपुर के निजी अस्पताल में ईलाज के लिए गए. दूसरे दिन इस अस्पताल में ईलाज और खून जांच के दौरान शीतल के प्लेटलैट्स 3 लाख 9 हजार बताया गया. रिपोर्ट के मुताबिक शीतल बिल्कुल स्वस्थ्य थी. मतलब साफ है कि खून जांच की गलत रिपोर्ट की वजह से अस्पताल में मरीजों का ईलाज सही नहीं हो पा रहा है.

तकनीकी खराबी से परेशानी
इस पूरे मामले में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीआर पुजारी का कहना है कि करीब 15 दिन से सीबीसी एनालाईजर मशीन में तकनीकी खराबी आई थी. जिस कारण मरीज के प्लेटलैटस की संख्या रिपोर्ट में काफी कम आ रही थी. मशीन को अब ठीक कर लिया गया है. सीएमएचओ ने माना कि यदि मरीज की गलत रिपोर्ट आती है तो डॉक्टर उसका ईलाज गलत ही करेगा. ऐसे में बड़ा सवाल है कि ख्याति प्राप्त अस्पताल में मरीजों के जान के साथ कैसे खिलवाड़ किया जा रहा है.

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