नई दिल्ली। आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है। साल 2022 में इसकी थीम रखी गई है हमारा ग्रह-हमारा स्वास्थ्य। इस बार पृथ्वी के साथ-साथ मानव समाज को स्वस्थ रखने पर जोर दिया गया है ताकि बीमारियों के इलाज पर नहीं बल्कि बीमारियों से बचाव और स्वास्थ्य पर काम हो। हालांकि विश्व भर में पहले से ही भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां ‘आयुर्वेद ’ और ‘योग उत्तम स्वास्थ्य प्रदान कर रही हैं लेकिन भारत की ही एक और परंपरागत चिकित्सा पद्धति है जो न केवल संपूर्ण स्वास्थ्य की बात करती है बल्कि रोगी को खुद चिकित्सक बनने की सलाह देती है. बेहद खास है कि यह पैथी व्यक्ति के आसपास मौजूद प्राकृतिक संसाधानों जैसे हवा, पानी, पेड-पौधे, धूप, खानपान, दिनचर्या, फल-फूल आदि से बीमारियों के इलाज का तरीका बताती है. यह पद्धति है ‘प्राकृतिक चिकित्सा’ यानि ‘नेचुरोपैथी’।
फरीदाबाद स्थित जाने-माने प्राकृतिक चिकित्सक मेहर सिंह बताते हैं कि यूं तो भारत में चिकित्सा की यह पद्धति सदियों पुरानी है लेकिन आज बीमारियों और महामारियों के बढ़ते प्रकोप के दौरान शरीर को स्वस्थ रखने के लिए यह काफी अहम हो गई है। नेचुरोपैथी लोगों को बीमार न पड़ने के अचूक नुस्खे बताती है, साथ ही आपात स्थिति में खुद का इलाज कैसे करें, इसके उपाय और तरीके भी बताती है। सबसे बड़ी बात है कि एक सामान्य व्यक्ति भी थोड़ी सी समझ और स्वचिकित्सा के माध्यम से खुद को बीमारियों से दूर रख सकता है। ये पैथी अस्पतालों के चक्कर नहीं कटवाती, बल्कि अस्पतालों से मुक्ति दिलाती है।
क्या है प्राकृतिक चिकित्सा
नेचुरोपैथ मेहर सिंह बताते हैं कि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पंच तत्वों पर आधारित है। जिनमें आकाश तत्व, अग्नि तत्व, भूमि, वायु और जल तत्व शामिल है।
चूंकि इन पांच तत्वों से ही मिलकर शरीर बना है, ऐसे में प्राकृतिक चिकित्सा कहती है कि इन तत्वों के असंतुलित होने से ही शरीर में रोग आते हैं और इनके संतुलित रहने पर ही स्वास्थ्य प्राप्त होता है। लिहाजा यह पूरी तरह वैज्ञानिक द्रष्टिकोण पर कार्य करती है। आज व्यक्ति के आसपास प्रकृति में जो भी चीजें मौजूद हैं, शरीर की जरूरत और मांग को ध्यान में रखते हुए उनका संतुलित इस्तेमाल इसी के अंतर्गत आता है। ऐसे में यह पद्धति लोगों को व्यवस्थित जीवन जीना भी सिखाती है, जिसके चलते बीमारियां पैदा ही नहीं होती. वहीं अगर बीमारियां पैदा होती हैं तो प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र इन पांच तरह से चिकित्सा प्रदान करते हैं।
. आकाश चिकित्सा- उपवास, रसाहार और अल्पाहार से चिकित्सा
. वायु चिकित्सा- प्राणायाम और योग से चिकित्सा
. सूर्य चिकित्सा- सूर्य की किरणों के माध्यम से चिकित्सा, रंग चिकित्सा या क्रोमोथेरेपी आदि
. जल चिकित्सा- स्नान के माध्यम से चिकित्सा
. भूमि चिकित्सा- मिट्टी से चिकित्सा
खुद डॉक्टर बनें, घर पर करें इलाज
चिकित्सक सिंह बताते हैं कि अन्य पैथियों में डॉक्टर इलाज करता है लेकिन नेचुरोपैथी कहती है कि आप खुद इलाज कीजिए। यह बताती है कि आपके शरीर में क्या रोग है इसकी सबसे बेहतर और सटीक जानकारी आपको होती है जो आप चिकित्सक को दिखाने जाते हैं तो बताते हैं लेकिन आप इसका इलाज घर पर ही कर सकते हैं। जो चीजें आपके शरीर को नुकसान पहुंचा रही हैं, उनका इस्तेमाल घटाकर, लाभ की चीजों का इस्तेमाल बढ़ा सकते हैं। नेचुरोपैथी स्वास्थ्य के लिए ‘दो रसोई’ के सिद्धांत पर भी काम करती है।
दो रसोई सिद्धांत, कैसे चुनें और इस्तेमाल करें
सिंह बताते हैं कि प्राकृतिक चिकित्सा कहती है हर व्यक्ति के पास दो रसोई उपलब्ध हैं, एक प्रकृति की रसोई और दूसरी मानव की रसोई। आजकल बीमारियों का कारण है कि मानव प्राकृतिक रसोई से ज्यादा मानव रसोई का इस्तेमाल कर रहा है। इसे ऐसे समझें-
प्रकृति की रसोई– इस रसोई में प्राकृतिक रूप से सभी मुफ्त मिलने वाली चीजें शामिल हैं जैसे पेड़ पौधे, फल, फूल, पानी, हवा, अन्न या अनाज, धूप आदि. नेचुरोपैथी के अनुसार शरीर शोधन के लिए प्रकृति की रसोई से 60 से 80 फीसदी भोजन किया जाना चाहिए. व्यक्ति फलों का जूस पीएं, सलाद खाएं, प्राकृतिक रूप में मौजूद सब्जी और फलों का उपयोग करे. यानि प्रकृति से जैसे मिल रहे हैं वैसे ही इस्तेमाल करें।
मानव की रसोई– वहीं दूसरी है मानव रसोई. इस रसोई में मानव या मनुष्यों के द्वारा तैयार किया गया भोजन आता है। नेचुरोपैथी कहती है कि सिर्फ 20 से 40 फीसदी तक ही मानव निर्मित रसोई से भोजन करना चाहिए. जैसे पकाया हुआ, भुना और तला हुआ भोजन. जंक फूड, फास्ट फूड आदि।
स्वस्थ रहने के तीन नियम, नींद, आहार और ब्रह्मचर्य
नेचुरोपैथ मेहर सिंह कहते हैं कि प्राकृतिक चिकित्सा में ये तीन चीजें स्वस्थ रहने का मूलमंत्र हैं लेकिन इनमें से ब्रह्मचर्य को हटा दिया जाए तो नींद और आहार या भोजन दो प्रमुख चीजें हैं, इन्ही की वजह से बीमारियां फैल रही हैंै इन्हें संतुलित किया जाए तो स्वस्थ रहा जा सकता हैै नेचुरोपैथी कहती है कि इतना श्रम या मेहनत करें कि आपको भूख लगे और ऐसा भोजन करें कि आपको नींद आ जाएै इसका तात्पर्य है कि सुबह उठकर मेहनत, वर्कआउट, व्यायाम या काम करें, ताकि भूख लगने लगे और प्रकृति की रसोई में से ज्यादा से ज्यादा भोजन करें ताकि अच्छी नींद आ जाए। सिर्फ इन दो चीजों से स्वस्थ रहा जा सकता हैै
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