
यूनिक समय, नई दिल्ली। आज चैत्र नवरात्रि के दूसरा दिन है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, जो तपस्या, साधना और धैर्य की देवी मां ब्रह्मचारिणी के दिव्य रूप की आराधना करते हैं। आइए जानें ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, भोग और उनके साथ जुड़ी कथा के बारे में।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए कुछ सरल और महत्वपूर्ण कदमों का पालन करना चाहिए। सुबह जल्दी स्नान करके सफेद या गुलाबी रंग के शुद्ध वस्त्र पहनें। मंदिर में मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र रखें। मां को कुमकुम, अक्षत और भोग अर्पित करें और उनका मंत्र जप करें। पूजा के बाद, मां के चरणों में पुष्प अर्पित कर उनकी आरती गाएं।
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना में यह मंत्र अत्यंत प्रभावी माना जाता है। “ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:”
इसके अलावा अन्य मंत्र भी मां की कृपा प्राप्ति के लिए उच्चारण किए जाते हैं। “या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।”
मां ब्रह्मचारिणी का भोग
ब्रह्मचारिणी मां को मीठे पकवानों का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है। विशेष रूप से, दूध और मिश्री से बनी मिठाइयां या पंचामृत का भोग अर्पित किया जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व उनके कठिन तपस्या के कारण है। शिवपुराण के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए कड़ी तपस्या की थी। पहले एक हजार वर्षों तक उन्होंने केवल फल खाए, फिर तीन हजार वर्षों तक उन्होंने केवल पत्तियां खाकर तप किया। उनकी इस कठिन साधना से देवता और ऋषि-मुनि बहुत प्रभावित हुए और देवी पार्वती को भगवान शिव के साथ विवाह का वरदान दिया। इस तपस्या के कारण ही उनका नाम “ब्रह्मचारिणी” पड़ा।
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