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नई दिल्ली। दिल्ली के चांदनी चौक में आपको देसी घी की सौंधी खुशबू आने लगे तो समझ जाइए आप दिल्ली की सबसे पुरानी जलेबी वाले की दुकान पर पहुंच गए हैं। देसी घी में जब जलेबी को तला जाता है इसके जब इसे चीनी की चाश्नी में तैराकर निकाला जाता है मुंह में पानी आ जाता है।
पुरानी दिल्ली में आप जल्द से जलेबी का स्वाद चख लें। आपको बता दें कि सिने स्टार राजकपूर इस देसी घी की जलेबी पर ऐसे फिदा रहे हैं, जैसे वह फिल्म ‘संगम’ की ‘राधा’ पर फिदा नजर आए थे।
सामान्य जलेबियों से बड़ा है इस जलेबी का साइज
लाल किला से जैसे ही हम ऐतिहासिक चांदनी चौक बाजार में प्रवेश करेंगे तो बायीं ओर दरीबा कलां जाती हुई सड़क के नुक्कड़ पर इस जलेबी वाले की दुकान है। जब इसकी दुकान पर देसी घी में जलेबियां तली जाती हैं तो पूरा इलाका महकने लगता है. अब जलेबी की बात करें। इस दुकान पर बिकने वाली जलेबी का साइज अन्य जलेबियों से आकार में कुछ बड़ा है, इसलिए पुरानी दिल्ली के लोग इसे जलेबा कहते हैं। फिलहाल हमारे लिए यह पुराना जलेबी वाला ही है। चूंकि इसकी जलेबी का साइज बड़ा है, इसलिए वह कुरकुरी तो नहीं होगी, लेकिन चाश्नी टपकती इस जलेबी का स्वाद दूसरी जलेबियों से जुदा-जुदा सा है। यही इस जलेबी की विशेषता है।
कहा जाता है कि राजकपूर जब भी दिल्ली आते, इस जलेबी वाले की जलेबी मंगाकर जरूर खाते थे।
हमेशा लीजिए गरमा-गरम जलेबी का स्वाद
इस दुकान पर अधिकतर समय आपको गरमा-गरम जलेबी ही मिलेगी। कारण यह है कि ग्राहक की मौजूदगी के हिसाब से ही समय-समय पर देसी घी में जलेबी को तला जाता है। आजकल जलेबी का दाम 500 रुपये किलो है। आप चाहें तो 50 ग्राम या 100 ग्राम जलेबी ले सकते हैं। दुकान वाला दोने में उसे पेश कर देगा और रस टपकती इस जलेबी का वहीं दुकान पर खड़े होकर स्वाद चखिए। दुकान पर आपको हमेशा भीड़ दिखाई देगी, क्योंकि चांदनी चौक की चहल-पहल भी बगल से गुजरती है, इसलिए जलेबी का आनंद उठाते समय अपने पर्स या बैग को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतें. यहां पैकिंग की भी सुविधा है।
मन करे तो मटर या आलू वाला समोसा भी चखा जा सकता है
चूंकि दुकान का नाम ही ‘ओल्ड फेमस जलेबी वाला’ है, इसलिए जाहिर है कि इसकी जलेबी खासी मशहूर होगी। लेकिन आपको बताते चलें कि इस दुकान के समोसे भी आपका दिल मोह सकते है। गरमा-गरम देसी घी में तले समोसे जब कड़ाही से उतरते हैं तो आपका मन ललचाएंगे ही. हो सकता है कि इन गरम समोसों को खाते वक्त आप अपनी जीभ जला बैंठे. दुकान पर मटर वाला समोसा 25 रुपये का है तो आलू वाले समोसे की कीमत मात्र 20 रुपये है।
राजकपूर जब भी दिल्ली आते, इस जलेबी का स्वाद जरूर चखते
इस दुकान की दिल्ली की सबसे पुरानी जलेबी वाली दुकान माना जाता है, तो लगे हाथों इसका इतिहास भी पढ़ते चलें। इस दुकान को वर्ष 1884 में लाला नेमचंद जैन ने शुरू किया था। वह मात्र दो रुपये लेकर पंजाब सूबे से दिल्ली आए थे। उन्होंने चांदनी चौक में जलेबी बनाकर बेचना शुरू किया, जो आज भी बेची जा रही है। आज उनकी भावी पीढ़ी इस कारोबार को संभाले हुए है। कहा जाता है कि राजकपूर जब भी दिल्ली आते, इस जलेबी वाले की जलेबी मंगाकर जरूर खाते थे। जिस होटल में वह ठहरते थे, जलेबी को वहीं पहुंचाया जाता। दुकान सुबह 8 बजे खुल जाती है और रात 10 बजे तक जलेबी का स्वाद लिया जा सकता है।
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