यूनिक समय, नई दिल्ली। आजकल बैंक खाते में बैलेंस मेंटेन रखने का नियम है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के निर्देशों के अनुसार, ऐसा नहीं करने पर बैंक चार्ज लगाते हैं, जो भरना अनिवार्य होता है, लेकिन जब बैंक अकाउंट खाली होता है, तब क्या होता है? बैंक चार्ज लगाते हैं या खाता माइनस में चला जाता है, जानने के लिए आपको रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के इस नियम के बारे में जरूर पता होना चाहिए।
आरबीआई के निर्देशानुसार, बैंक को खाते में मिनिमम बैलेंस मेंटेन कराने के लिए कहा गया है। हर बैंक ने इसका एक अमाउंट फिक्स किया है। इस फिक्स अमाउंट से कम बैलेंस होने पर चार्ज लगाया जाता है। अलग-अलग बैंक अलग-अलग चार्ज लगाते हैं। यह एरिया के हिसार से हो सकता है। शहरी इलाकों में ज्यादा जुर्माना लगाया जाता है। ग्रामीण इलाकों में कम लगाया जाता है।
आरबीआई के निर्देशानुसार, बैंकों को ग्राहकों को मिनिमम बैलेंस नहीं होन के बारे में बताना होगा। यही एक महीने के अंदर बैलेंस मेंटेन नहीं होता हो जुर्माना लगाने के निर्देश हैं। बैंक इसके लिए रटर, ईमेल या लेटर भेजेंगे। बैंक ग्राहकों को बैलेंस मेंटेन करने के लिए समय देते हैं, जो एक महीने तक का ही हो सकता है। इस समयसीमा के बाद बैंक ग्राहकों को बताकर जुर्माना लगाएंगे।
चार्ज लगाने के लिए बैंक स्लैब भी बनाते
आरबीआई के निर्देशानुसार, मिनिमम बैलेंस मेंटेन रखने में जितना अमाउंट कम होगा, जुर्माना उसी रेशो में लगाया जाएगा, यानी चार्ज तय प्रतिशत के आधार पर ही लगाया जाएगा। इसके लिए बैंक एक स्लैब भी बनाते हैं। चार्ज वैलिड होना चाहिए और औसत लागत से अधिक नहीं होना चाहिए। ध्यान रहे कि मिनिमम बैलेंस न होने लगने वाला जुर्माना अकाउंट को नेगेटिव या माइनस में न पहुंचा दे।
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