रांची। झारखंड प्रदेश भाजपा ने एक बार फिर अपने नेताओं पर चाबुक चलाया है। झारखंड विधानसभा चुनाव के बीच पार्टी नेताओं के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई की है। तीसरे चरण का चुनाव बीत जाने के बाद भाजपा ने अपने और एक दर्जन नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। शनिवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लडऩे वालों को छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया गया है। इनमें भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी और प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर भी शामिल हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान यह दूसरा मौका है जब भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेताओं कड़ी कार्रवाई की है।
इससे पूर्व भाजपा ने सरयू राय समेत करीब डेढ़ दर्जन लोगों को पार्टी से बाहर निकाला था। भाजपा ने पार्टी संविधान का हवाला देते हुए स्पष्ट किया है कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लडऩे वालों को छह साल की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया जाता है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश के स्तर से यह जानकारी साझा की गई है। हालांकि, जिन्हें निष्कासित किया गया है उनमें से कई का तर्क है कि वे पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं, ऐसे में इस तरह की कार्रवाई का कोई मतलब नहीं रहा जाता है।
इनपर हुई कार्रवाई
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी (बोरियो), पूर्व प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर (नाला), तरुण गुप्ता (जामताड़ा), सीताराम पाठक (जरमुंडी), माधव चंद्र महतो (नाला), नित्यानंद गुप्ता (राजमहल), गेम्ब्रिएम हेम्ब्रम (बरहेट), लिली हांसदा (बरहेट), श्याम मरांडी (शिकारीपाड़ा), शिवधन मुर्मू, (दुमका), संजयनन्द झा (जरमुंडी)।
प्रवीण प्रभाकर ने कार्रवाई को बताया हास्यास्पद
भाजपा छोड़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में शामिल हो चुके प्रवीण प्रभाकर ने अपने निष्कासित की घोषणा को हास्यास्पद करार दिया है। उन्होंने कहा कि एनपीपी में शामिल होने के पूर्व ही 29 नवंबर को उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसलिए उन्हें निष्कासित करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। कहा कि निष्कासित करने में समय बर्बाद करने से पहले उनके इस्तीफे के संबंध में जानकारी सार्वजनिक की जाती तो ज्यादा बेहतर होता।
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