जन्माष्टमी पर 20 लाख श्रद्धालुओं ने किए ब्रज में मंदिरों के दर्शन

यूनिक समय, मथुरा। श्री कृष्ण जन्माष्टर्मी पर मथुरा में 20 लाख श्रद्धालु कान्हा के दर्शन कर निहाल हुए। पर्यटन विभाग के प्रयास रंग ला रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने से अधिकारी और यहां के व्यापारी खुश नजर आए। जिला पर्यटन अधिकारी का कहना है कि श्रद्धालुओं की संख्या में हो रही बढ़ोतरी का कारण है उनको यहां बेहतर सुविधा मिलना और मथुरा तक आने के लिए कनेक्टिविटी आसान होना।

गौरतलब है कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव पर दर्शन करने के लिए ब्रज भूमि में आस्था का सैलाब उमड़ा था। यहां के मथुरा,वृंदावन सहित बरसाना,नंदगांव,गोकुल में देश विदेश से पहुंचे श्रद्धालुओं ने कान्हा के जन्म के दर्शन किए। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर अनुमान के मुताबिक यहां करीब 20 लाख श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचे।

 


धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रही ब्रज भूमि में सबसे ज्यादा पर्यटक वृंदावन आते हैं। यहां वह विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के अलावा,निधिवन,रंगनाथ मंदिर,प्रेम मंदिर सहित अन्य मंदिरों के दर्शन करते हैं। वृंदावन के बाद श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा संख्या गोवर्धन और बरसाना में होती है। यहां श्रद्धालु 21 किलोमीटर की परिक्रमा करते हैं और बरसाना में राधा रानी के दर्शन करते हैं। वहीं श्री कृष्ण जन्मभूमि पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी अच्छी संख्या में इजाफा हुआ है।

 

जिला पयर्टन अधिकारी डीके शर्मा ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर अधिक श्रद्धालु आएं । इसके लिए पर्यटन विभाग ने 20 हजार युवाओं को सोशल मीडिया के जरिए जोड़ा गया। जिसके तहत स्टूडेंट को भगवान श्री राधा कृष्ण, बृज भूमि, मंदिर आदि के फोटो,वीडियो सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर अपलोड कराए गए थे। युवाओं ने रील,ब्लॉग बनाकर इन वीडियो को फेसबुक,इंस्टाग्राम पर अपलोड किए। श्री शर्मा ने बताया यह मुहिम विश्व फोटोग्राफी दिवस से शुरू कर दी गई थी। बताया कि कोरोना के बाद से धार्मिक पर्यटन की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है। खासकर मथुरा,काशी और अयोध्या में।

बता दें कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के दो शहरों में आए पर्यटकों ने तमिलनाडु में आने वाली पर्यटकों की संख्या का रिकॉर्ड तोड दिया। यहां के काशी और मथुरा में 23 करोड़ श्रद्धालु आए जबकि तमिलनाडु राज्य में 22 करोड़। उत्तर प्रदेश के अन्य धार्मिक स्थलों पर आए श्रद्धालुओं की संख्या को जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा काफी बढ़ जायेगा।

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