मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व की सरकारों पर बुधवार को हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि राज्य में 1977 से 2017 तक इन्सेफेलाइटिस पर रोक लगाने के लिए कुछ नहीं किया गया, नतीजतन पिछले चालीस साल में 50 हजार से ज्यादा बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा के विशेष सत्र में कहा कि पहली बार 1977 में इन्सेफेलाइटिस के रोगी का पता चला लेकिन किसी भी सरकार ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के 38 जिलों में जिसमें वीआईपी जिला रायबरेली भी शामिल था, इसकी रोकथाम के लिये कोई भी प्रयास नहीं किया। 1977 से 2017 तक एक साल से लेकर 15 साल तक के करीब पचास हजार बच्चे इस रोग की चपेट में आकर मर गये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मरने वाले बच्चों में 70 से 90 प्रतिशत बच्चे दलित एवं अल्पसंख्यक समुदाय से थे। जब 1988 में मैं पहली बार सांसद बना तो मैंने यह मुददा उठाया। मुख्यमंत्री ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2016 में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिन्ड्रोम (एईएस) के 2,900 मामले सामने आये जिनमें से 491 की मौत हो गई। जबकि 2017 में 3,911 मामले आये और 641 बच्चों की मौत हुई। उन्होंने कहा कि 2019 में 30 अगस्त तक 938 मामले आये और इनमें से 35 की मौत हुई।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि टीम वर्क की वजह से हमारी सरकार ने स्वच्छता पर जोर दिया और इस बीमारी को फैलने से रोका। योगी ने दावा किया कि प्रदेश में विषाणु जनित रोगों को फैलने से रोकने के प्रयास किए गए। प्रदेश में डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया, इन्सेफेलाइटिस और चिकनगुनिया नहीं फैला और ऐसा स्वच्छ भारत अभियान पर ध्यान केंद्रित करने से मुमकिन हुआ। उन्होंने कहा कि गांधी जयंती के अवसर पर भाजपा विधायक राजधानी के विभिन्न मोहल्लों में प्लास्टिक के विरोध में आयोजित अभियान में शामिल हुए।
सीएम योगी ने कहा कि मैंने विधायकों से कहा है कि वह ऐसा ही अभियान अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में चलायें तथा स्वच्छ भारत अभियान को ज्यादा से ज्यादा सफल बनाएं। जिन विधायकों के क्षेत्रों में बेहतर काम होगा उन्हें सम्मानित भी किया जायेगा।
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