नई दिल्ली। सऊदी अरब में रविवार यानी आज से महिलाओं को आधिकारिक तौर पर सड़कों पर ड्राइविंग करने (गाड़ी चलाने) की इजाजत मिल गई है। सऊदी की महिलाएं भी अब सड़कों पर गाड़ी चला सकेंगी। इसके साथ ही सऊदी अरब महिलाओं के गाड़ी चलाने पर लगे प्रतिबंध को हटाने वाला दुनिया का आखिरी देश बन गया है। आपको बता दें कि सऊदी अरब दुनिया का एकलौता देश था जहां महिलाएं के ड्राइविंग करने पर प्रतिबंघ था।
बीते साल सितंबर में किंग सलमान ने अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान द्वारा सुधारों को लागू किए जाने के बाद महिलाओं के ड्राइविंग पर लगे बैन को हटाने का आदेश दिया था। इन सुधारों के जरिए सऊदी अपनी अर्थव्यवस्था में बदलाव लाना चाहता है।
सऊदी अरब के इतिहास में यह एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि 60 से अधिक वर्षों से महिलाएं सिर्फ यात्री सीट पर ही बैठती थीं यानी खुद गाड़ी नहीं चला सकती थीं। गाड़ी चलाने पर लगा बैन हटने से खाड़ी देश में 1.51 करोड़ महिलाएं पहली बार सड़कों पर गाड़ी लेकर उतरने में सक्षम हो सकेंगी।
नवंबर 1990 में सऊदी अरब की 40 महिलाओं ने रियाद में एक साथ गाड़ी चलाई। यह प्रतिबंध के खिलाफ पहली बार सार्वजनिक तौर पर विरोध था। इन महिलाओं को एक दिन के लिए जेल हुई और साथ ही पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया।
सितंबर 2007 में महिला ऐक्टिविस्ट्स ने तत्कालीन किंग अब्दुल्लाह को ड्राइविंग से बैन हटाने के लिए 1000 हस्ताक्षरों के साथ एक याचिका दी।
मार्च 2008 में वजेहा-अल हुवैदर नाम की एक ऐक्टिविस्ट ने यू-ट्यूब पर गाड़ी चलाते हुए एक विडियो पोस्ट किया।
जून 2011 में फेसबुक पर ‘Women2Drive’नाम का कैंपेन लॉन्च किया गया। महिलाओं की ड्राइविंग से जुड़े 70 केस दर्ज किए गए। कुछ को गिरफ्तार भी किया गया।
अक्टूबर 2013 में दर्जनों महिलाओं ने ड्राइविंग करते हुए अपनी फोटो और विडियोज ऑनलाइन शेयर किए।
नवंबर 2014 में ऐक्टिविस्ट्स लूजा-इन हथलाउल और मायसा अल-अमूदी को 73 दिनों तक हिरासत में रखा गया। यूएई से सऊदी अरब तक ड्राइव करने की कोशिश के बाद इन पर आतंकवाद से जुड़े अपराध दर्ज किए गए।
सितंबर 2017 में किंग सलमान ने महिलाओं के ड्राइविंग को मंजूरी का आदेश दिया।
24 जून 2018 में महिलाओं को आखिरकार ड्राइविंग सीट मिली।
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