पुलिस के पसीने से जनता की खुशियों के दीप होते रौशन

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तीन दिन बाद पांच दिवसीय दीपोत्सव शुरू हो जाएगा। बाजारों की रौनक देखने दिखाने लायक है। देर रात तक बाजार खुल रहे हैं। चप्पे-चप्पे पर पुलिस कर्मी नजर आ रहे हैं। पुलिस कर्मियों की कड़ी मेहनत से ही जनता की दीपावली खुशहाल बनती है। त्यौहारी सीजन में पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं। इस दौरान ताजनगरी में पुलिस कर्मी 15 से 16 घंटे की नौकरी कर रहे हैं। पुलिस कर्मियों को अपने घरवालों के साथ पूजन का भी समय नहीं मिलेगा। कई पुलिस कर्मी तो वीडियो कॉल पर परिजनों के साथ पूजन करेंगे। छुट्टियों पर रोक लगी हुई है।
एक अक्तूबर से 31 अक्तूबर तक पुलिस कर्मियों की छुट्टियों पर रोक लगी हुई है। विशेष परिस्थितियों में एसएसपी की स्वीकृति के बाद ही छुट्टी मिल रही है। सुबह से देर रात तक पुलिस ड्यूटी कर रही है। आखिर पुलिस कर्मियों की दीपावली कैसे मनती हैं। यह पुलिस कर्मियों से ही जानने का प्रयास किया गया। शहर के एक थाने में तैनात इंस्पेक्टर ने बताया कि शहर की रखवाली में ही उनकी दीपावली है। त्यौहारी सीजन में बाजारों में भयंकर भीड़ है। पूरा जोर इस बात पर रहता है कि किसी के साथ लूट की वारदात नहीं हो। कोई महिला बाजार आए तो उसके साथ छेड़छाड़ की घटना नहीं हो। कोई किसी का पर्स लूटकर नहीं ले जाए। किसी की चेन नहीं तोड़ ले। त्यौहारी सीजन में बदमाश भी सक्रिय हो जाते हैं। पुलिस कर्मी इन दिनों लगभग 15 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं।
एक अन्य थाना प्रभारी ने बताया कि अधीनस्थों को बताया गया है कि किन बातों का ध्यान रखना है। बाजारों में भीड़ अधिक है। ट्रैफिक भी बढ़ गया है। यातायात पुलिस कर्मियों के साथ थाना पुलिस भी यातायात के संचालन में मदद कर रही है। ताकि खरीददारी करने निकले लोग जाम नहीं फंसे। जाम मिलता है तो लोग सीधे पुलिस को कोसते हैं। यही बोलते हैं कि पुलिस कुछ नहीं करती। जबकि ऐसा नहीं है पुलिस कर्मियों के तो दिन की शुरूआत ही इसी बात से होती है कि इलाके में सब कुछ सामान्य रहना चाहिए। जनता की दीपावली खुशी से मनेगी तभी वे चैन से सो पाएंगे। कोई वारदात हो गई तो परिजनों से फोन पर भी बात करने की फुर्सत नहीं मिलेगी।

पुलिस को दी गई हैं ये जिम्मेदारी

-प्रमुख मार्गों पर जाम नहीं लगना चाहिए। लोगों को सड़क पर गाड़ी खड़ी करने से रोकें।
-चेकिंग करें मगर परिवार के साथ जा रहे लोगों को परेशान नहीं करें।
-बाजार में महिलाएं खरीददारी करने आएं तो जगह-जगह पुलिस मिले।
-रात को दुकानें बंद करके व्यापारी घर लौटें तो उन्हें कोई भय नहीं सताए।
-कहीं आग की सूचना मिले तो तत्काल पुलिस फोर्स भी मौके पर पहुंचे।
-खुले में शराब पीने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें। ओपन बार का असर आस-पास की दुकानों पर भी पड़ता है। महिलाएं उधर खरीददारी करने आने से बचती हैं।

देर से घर पर करते हैं पूजन

जिन पुलिस कर्मियों के परिजन शहर में रहते हैं वे दीपावली का पूजन घर पर ही करते हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस कर्मियों के घर पूजन देर से होता है। दीपावली की रात नौ बजे के बाद बाजारों में रौनक नहीं होती है। व्यापारी अपने घर चले जाते हैं। उसके बाद पुलिस कर्मी अपने घर पूजन के लिए जाते हैं। पूजन करके सीधे ड्यूटी पर वापस लौट आते हैं। रातभर जागना पड़ता है। आतिशबाजी के कारण आग लगने की घटनाएं होने की आशंका बनी रहती है।
जिन पुलिस कर्मियों के परिजन शहर से बाहर रहते हैं वे वीडियो कॉल पर परिजनों के साथ पूजन करते हैं। अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेत हैं।

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