यूनिक समय, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्जदारों के हित में एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश जारी किया। इसके तहत बैंक और वित्तीय संस्थानों को उधारकर्ता द्वारा लोन का पूरा उधार चुकाने के 30 दिनों के अंदर सभी मूल चल या अचल संपत्ति दस्तावेजों को जारी करना होगा। साथ ही किसी भी रजिस्ट्री में पंजीकृत शुल्क भी हटा देना होगा।
देना होगा हर दिन 5 हजार का हर्जाना
आरबीआई ने एक अधिसूचना में कहा कि निर्देश का पालन करने में विफल रहने पर विनियमित संस्थानों को प्रतिदिन के हिसाब से 5 हजार रुपये का हर्जाना उधारकर्ता को देना होगा। आरबीआई द्वारा आगे कहा गया कि विनियमित संस्थाएं ऐसे चल या अचल संपत्ति दस्तावेजों को जारी करने में कई तरह के प्रथाओं का पालन करते हैं, ऐसे में ग्राहकों की शिकायतें और विवाद होते हैं।
बैंक होगा जिम्मेदार
आरबीआई की अधिसूचना के मुताबिक अगर किसी ग्राहक के मूल दस्तावेजों का कोई नुकसान हुआ या फिर वो गुम हो गए तो ऐसी स्थिति में संबंधित वित्तीय संस्थान ही जिम्मदार होगा। साथ ही बैंक द्वारा ही कर्जदार के ऐसे दस्तावेजों की नकल या सर्टिफाइड कॉपी हासिल करवाने में मदद करेगा। इतना ही नहीं, वित्तीय संस्थान को इसके लिए हर्जाने का भुगतान भी करना होगा।
60 दिनों तक का मिलेगा समय
आपको जानकारी के लिए बता दें कि वित्तीय संस्थानों के पास कर्जदारों द्वारा पूरा कर्जा चुका देने की बाद वाली प्रिि९या को पूरा करने के लिए 30 दिन का अतिरिक्त समय होता है। ऐसे में बैंक के पास कुल 60 दिनों की अवधि होती है, जिसके बाद भी अगर कर्जदार को अपने दस्तावेज नहीं मिले, तो हर दिन के हिसाब से 5000 रुपये का हर्जाना बैंक को देना पड़ेगा।
आरबीआई की ओर से ये भी कहा गया है कि ये निर्देश उन सभी मामलों पर लागू होंगे, जहां मूल चल/अचल संपत्ति दस्तावेजों (टङ्म५ुं’ी/ केङ्म५ुं’ी ढ१ङ्मस्री१३८ ऊङ्मू४ेील्ल३२) की रिहाई 1 दिसंबर, 2023 को या उसके बाद होती है।
Leave a Reply