पश्चिम बंगाल: राष्ट्रपति शासन की मांग पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

राष्ट्रपति शासन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

यूनिक समय, नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा और बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज, मंगलवार को सुनवाई होगी। एडवोकेट विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर याचिका में केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह राज्यपाल से संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत रिपोर्ट मांगे और राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती पर विचार करे।

यह मामला 2021 में शुरू हुई हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिसमें याचिकाकर्ताओं रंजना अग्निहोत्री और जितेंद्र सिंह बिसेन ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हत्याएं, हिंसा और कानून-व्यवस्था की गिरती स्थिति को उठाया था। अब इस याचिका में एक नया इंटरलोक्यूटरी आवेदन दाखिल किया गया है, जिसमें राज्य में हाल ही में हुई हिंसा की घटनाओं को जोड़ते हुए अदालत से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं, ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के दायरे को लेकर हो रही सार्वजनिक चर्चा पर टिप्पणी भी की।

याचिका में मांग की गई है कि 2022 से अप्रैल 2025 तक राज्य में हुई हिंसा, मानवाधिकार उल्लंघन और महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई जाए। साथ ही केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वह अनुच्छेद 355 के तहत जरूरी कदम उठाए, जो किसी राज्य में केंद्र की मदद से कानून-व्यवस्था बहाल करने का प्रावधान करता है।

एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने स्पष्ट किया है कि वह अदालत के समक्ष हिंसा की घटनाओं के प्रमाण पेश करेंगे और बताएंगे कि किस तरह से राज्य में हालात खराब हुए। मामले की सुनवाई में आज क्या निर्णय निकलता है, इस पर देश की निगाहें टिकी हैं।

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