
यूनिक समय, नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने वकीलों की कार्यसंस्कृति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि न्यायपालिका को मुकदमों के लंबित मामलों के लिए दोषी ठहराया जाता है, जबकि छुट्टियों के दौरान वकील खुद काम करने को तैयार नहीं होते।
यह टिप्पणी उस समय सामने आई जब एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में गर्मी की छुट्टियों के बाद याचिका सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। मुख्य न्यायाधीश गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस पर नाराजगी जताई। गवई ने कहा, “शीर्ष पांच न्यायाधीश छुट्टियों में भी कार्य कर रहे हैं, इसके बावजूद बैकलॉग के लिए न्यायपालिका को दोषी ठहराया जाता है, जबकि हकीकत यह है कि वकील ही अवकाश में सुनवाई नहीं चाहते।”
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, इस बार गर्मियों की छुट्टियों को “आंशिक कार्य दिवस” घोषित किया गया है, जो 26 मई से 13 जुलाई तक चलेंगे। इस अवधि में दो से पांच अवकाशकालीन पीठ (वैकेशन बेंच) सुनवाई करेंगी। पहले केवल दो बेंच बैठती थीं और वरिष्ठ न्यायाधीशों को अवकाश के दौरान कोर्ट में उपस्थित नहीं होना पड़ता था।
इस बार, मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई सहित शीर्ष पांच न्यायाधीश — जस्टिस सूर्यकांत, विक्रम नाथ, जे.के. माहेश्वरी और बी.वी. नागरत्ना — अलग-अलग बेंच की अध्यक्षता करेंगे। साथ ही, कोर्ट की रजिस्ट्री सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुली रहेगी, हालांकि यह रविवार, सभी सार्वजनिक अवकाशों और 12 जुलाई को बंद रहेगी।
मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणी न्यायिक प्रणाली में सुधार की दिशा में एक अहम संकेत मानी जा रही है, जहां न्यायपालिका अपनी जिम्मेदारी निभा रही है, लेकिन सहयोग की अपेक्षा बार काउंसिल और वकीलों से भी की जा रही है।
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