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मथुरा। शहर के बहुचर्चित सर्राफ डकैती और दोहरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी राकेश उर्फ रंगा और उसके भाई की पैरवी करने वाले अधिवक्ता ने मुकदमा लड़ने से इनकार कर दिया है। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई स्पेशल जज रामइच्छुक यादव की अदालत में होनी थी।
गत वर्ष मई में होलीगेट पर सर्राफ मयंक चेन के यहां पड़ी डकैती और दोहरे हत्याकांड के मामले की सुनवाई स्पेशल जज की अदालत में चल रही है। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई में तब नया मोड़ आ गया, जब आरोपी राकेश उर्फ रंगा उसके भाई कामेश और नीरज की पैरवी करने वाले अधिवक्ता आरआर उपाध्याय ने केस से खुद को अलग कर लिया। अधिवक्ता ने इसकी जानकारी अदालत को दी। इसके बाद अदालत ने आरोपियों को वकील नियुक्त किए जाने के आदेश दिए और अगली सुनवाई को 15 मई की तिथि निर्धारित कर दी। शासन की ओर से इस मामले की पैरवी कर रहे सहायक शासकीय अधिवक्ता अबु अहमत रिजवी ने बताया कि अदालत में सुनवाई से पूर्व ही आरोपियों के अधिवक्ता आरआर उपाध्याय ने खुद को केस से अलग करने का प्रार्थना पत्र पेश कर दिया। इसके बाद अदालत ने सुनवाई को अगली तिथि मुकर्रर कर दी।
चश्मदीद गवाह से होनी थी जिरह
सर्राफ कांड में मयंक अग्रवाल घायल हुआ था। वह इस मामले में चश्मदीद गवाह भी है। उससे आरोपियों के अधिवक्ता को जिरह करनी थी। अधिवक्ता द्वारा केस से नाम वापस लिए जाने के बाद जिरह नहीं हो सकी।
इनकी हुई पेशी
राकेश उर्फ रंगा को आगरा, कमेश और नीरज को अलीगढ़ जेल से पुलिस अभिरक्षा में पेशी पर लाया गया। वहीं जिला करागार मथुरा से आयुश, विष्णु, महेश, सौरभ को लाया गया।
रंगा और नीरज को चुकी है उम्रकैद
आरोपी राकेश उर्फ रंगा और उसके भाई नीरज को एफटीसी अमरपाल सिंह द्वारा पिछले माह भोले बाबा हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। भोले बाबा हत्याकांड में उनके चौथे भाई बिल्ला को भी आजीवन कारावास हो चुका है।
इनको मिल चुकी है जमानत
सर्राफ डकैती और हत्याकांड में पुलिस ने हर्षवर्धन व लखन माहौर को भी आरोपी बनाया गया था। दोनों को उच्च न्यायालय से जमानत मिल चुकी है। सुनवाई को उक्त दोनों भी अदालत में पेशी पर पहुंचे थे।
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