नई दिल्ली। केरल के सबरीमाला मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी उम्र की महिलाओं के लिए सबरीमाला मंदिर का दरवाजा खोल दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाएं प्रवेश कर सकेंगीं। अब 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं थी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को गलत माना है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के मुताबिक हर किसी को, बिना किसी भेदभाव के मंदिर में पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए।चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसला पढ़ते हुए कहा, ‘धर्म के नाम पर पुरुषवादी सोच ठीक नहीं है। उम्र के आधार पर मंदिर में प्रवेश से रोकना धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है।’ आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 4-1 के बहुमत से आया है। फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि भगवान अयप्पा के भक्त हिंदू हैं, ऐसे में एक अलग धार्मिक संप्रदाय न बनाएं। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुछेद 26 के तहत प्रवेश पर बैन सही नहीं है। संविधान पूजा में भेदभाव नहीं करता है। माना जा रहा है कि इस जजमेंट का व्यापक असर होगा।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई में जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा पांच जज बेंच में शामिल थे। हालांंकि यह फैसला 4-1 के बहुमत से आया है। बेंच में शामिल जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अलग फैसला दिया है। आपको बता दें कि शीर्ष कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में उस प्रावधान को चुनौती दी गई है, जिसके तहत मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयु की महिलाओं के प्रवेश पर अब तक रोक थी। आपको बता दें कि इंडियन यंग लॉयर्स असोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी थी। मंदिर ट्रस्ट की मानें तो यहां 1500 साल से महिलाओं की एंट्री पर बैन है। इसके लिए कुछ धार्मिक कारण बताए जाते रहे हैं।
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