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पिछले 5 महीने से यूपी पुलिस अपने जिस कांस्टेबल की तलाश में दिन-रात एक किए हुए थी उसे अब जाकर पता चला है कि वह कांस्टेबल तो तिहाड़ में उम्रकैद की सजा काट रहा है। पहली बार जब यूपी पुलिस के संज्ञान में ये बात आई तो वह भी चौंक गई लेकिन जब पूरी बात उनके सामने स्पष्ट हुई तब जाकर उन्हें इसका कारण पता चला। आगे जानिए क्या है पूरा मामला…
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार दरअसल पिछले साल नवंबर से यूपी पुलिस का 55 वर्षीय कांस्टेबल कंवर पाल सिंह गायब था। पांच महीने की तलाश के बाद पुलिस को पता चला कि कंवर पाल सिंह तिहाड़ जेल में बंद है। कंवर पाल सिंह उन दोषियों में शामिल है जिन्हें 1987 के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में अदालत ने सजा सुनाई थी।
तिहाड़ जाने से पहले कंवर सिंह की तैनाती बिजनौर के बाधापुर पुलिस स्टेशन में थी। विभागीय जांच के बाद बीते शुक्रवार को उसे सेवा से निकाल दिया गया। 15 नवंबर को वह जब एक महीने की छुट्टी लेकर घर जाने की बात कर रहा था तब उसके बिजनौर के सहयोगी ने उससे अपने घर शामली से मिठाइयां लाने को कहा था। कंवर पाल ने उसे तब भी नहीं बताया था कि उसे सजा हो गई है।
सहयोगियों को भी नहीं था पता
यूपी पुलिस
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उसके सहयोगियों में किसी को पता नहीं था कि कंवर पाल को दिल्ली हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। बता दें कि 22 मई 1987 को 15 पुलिस वालों ने 42 मुस्लिम पुरुषों को मेरठ के हाशिमपुरा में रात के वक्त गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी और फिर उन्हें एक नाले में फेंक दिया था।
इस मामले में 31 अक्तूबर 2018 को ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए दोषियों को सजा सुनाई थी। साथ ही अदालत ने 22 नवंबर 2018 तक सभी दोषियों को सरेंडर करने को कहा था। इसी तारीख से ठीक एक हफ्ते पहले कंवर सिंह छुट्टी लेकर चला गया था।
जब साढ़े तीन महीने बाद भी कंवर पाल ने ड्यूटी ज्वाइन नहीं की तब भी बिजनौर पुलिस को इस बारे में नहीं पता था कि दोषियों में उसका नाम भी है। इसके बाद 1 अप्रैल को पुलिस ने उसे ड्यूटी ज्वाइन न करने पर सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद उसका पता लगाने के लिए एक विभागीय जांच बैठाई गई।
बिजनौर पुलिस के एसपी विश्वजीत सिंह ने बताया कि, ‘कांस्टेबल कंवर पाल सिंह बाधापुर पुलिस स्टेशन में पोस्ट था। शामली के किरोड़ी गांव का निवासी कंवर सिंह 15 नवंबर को एक महीने की छुट्टी का कहकर गया था। जब वह छुट्टियां खत्म होने के बाद भी ज्वाइन करने में नाकाम रहा तो उसे सस्पेंड कर दिया गया।’
उन्होंने आगे बताया जब विभागीय जांच हुई तो उसमें खुलासा हुआ कि कंवर पाल उन 15 दोषियों में शामिल है जिन्हें हाशिमपुरा नरसंहार के लिए आजीवन कारावास की सजा मिली है। जांच की रिपोर्ट आने पर उसकी सेवाएं निरस्त कर दी गईं।
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