अमरोहा। जी हां, अमरोहाकी खुशबू एक बार फिर चांद पर महकेगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चांद पर दूसरा अभियान 9-16 जुलाई को लॉन्च करने जा रहा है। चंद्रयान-2 का लैैंडर चांद की सतह पर छह सितंबर को उतर सकता है। अमरोहा के मुहल्ला चाहगौरी निवासी सिकंदर मिर्जा की बिटिया खुशबू मिर्जा मिशन की रिसर्च टीम का हिस्सा हैैं। चंद्रयान-1 की चेकआउट टीम की लीडर रह चुकीं खुशबू दुनियाभर की महिलाओं, खासकर मुस्लिम समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैैं।
अति महत्वाकांक्षी है मिशन
चंद्रयान-1 और मंगलयान मिशन के बाद चंद्रयान-2 इसरो के लिए अति महत्वाकांक्षी मिशन है। अभी तक चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग (मानवरहित) कराने वाले देश अमेरिका, रूस और चीन ही हैं। चंद्रयान-2 आर्बिटर और लैंडर को जीएसएलवी मार्क-3 धरती की कक्षा में स्थापित करेगा। जिसके बाद उसे चांद की कक्षा में पहुंचाया जाएगा। चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 के पहुंचने के बाद लैंडर निकलकर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इसके बाद रोवर उससे निकलेगा और विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा। भारत ने साल 2008 में चांद पर अपना पहला मिशन चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। लेकिन ईंधन की कमी के कारण यह मिशन 29 अगस्त 2009 को ही खत्म हो गया था।
कम उम्र की थीं सदस्य
चंद्रयान-1 मिशन की चेकआउट टीम में खुशबू सबसे कम उम्र की सदस्य थीं। इस बार वह रिसर्च टीम का हिस्सा हैैं और मिशन की तैयारियों में जुटी हैं। कहती हैं, चंद्रयान-2 भारत के लिए बेहद महत्वाकांक्षी और प्रतिष्ठा से जुड़ा मिशन है। इससे जुड़े सभी सदस्यों ने भरपूर मेहनत की है और हमें पूरी उम्मीद है कि हम बड़ी कामयाबी हासिल करेंगे।
इधर, खुशबू के भाई चौधरी खुशतर मिर्जा ने बताया कि इस कामयाबी का सभी को बेसब्री से इंतजार है। उस अवसर को लेकर पूरे परिवार में एक अलग उत्साह है। हम सभी इस मिशन की कामयाबी के लिए दुआ कर रहे हैैं। खुशबू भी मिशन को सार्थक बनाने में जीजान से जुटी हैैं। खुशतर ने दैनिक जागरण से कहा, खुशबू देश के लिए काम कर रही हैं और हम सभी को इस पर नाज है।
खुशबू के परिवार में उनकी मां फरहत मिर्जा के अलावा बड़े भाई चौधरी खुशतर मिर्जा और बहन महक हैं। 1985 में जन्मीं खुशबू के सिर से पिता का साया बचपन में ही उठ गया था। मां ने ही तीनों बच्चों की परवरिश की और बेहतर तालीम दिलाई। खुशबू ने नगर के कृष्णा बाल मंदिर स्कूल से इंटर तक की पढ़ाई की। उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। वह अपने बैच की गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। स्कूल के दिनों में जिला स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी रहीं खुशबू विश्वविद्यालय की पहली छात्रा भी रहीं जिन्होंनेछात्र संघ के चुनावों में हिस्सा लिया।
बेटियों को पढ़ाएं
अब समय बदल चुका है। भारत की बेटियां अंतरिक्ष विज्ञान सहित अन्य विधाओं में दक्षता हासिल कर रही हैैं। इसलिए मुस्लिम समाज का भी लड़कियों के प्रति भी नजरिया बदलना चाहिए। परिजनों को बच्चियों को बेहतर तालीम दिलानी चाहिए।
-खुशबू मिर्जा, सदस्य चंद्रयान-2, इसरो
मिशन की कामयाबी के लिए दुआ
खुशबू देश के लिए काम कर रही हैं और हम सभी को इस पर नाज है। हम सभी इस मिशन की कामयाबी के लिए दुआ कर रहे हैैं।
-चौधरी खुशतर मिर्जा, बड़े भाई
हमें अपनी बिटिया पर नाज है
इस्लाम ने सबको तालीम का बराबर हक दिया है। बेटे के बराबर बेटी को रखा गया है। खुशबू ने सिर्फ अमरोहा का ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन किया है। हमें अपने शहर की बेटी पर नाज है। वह अन्य छात्राओं, विशेषकर मुस्लिम बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है।
– नसीम खां, समाजसेवी, अमरोहा
चंद्रयान-1 के वक्तरखे थे रोजे
मेरे शहर की बेटी ने तालीम भी हासिल की और अब मुल्क के लिए अपना फर्ज पूरा कर रही है। खुशबू ने चंद्रयान-1 की लांचिंग के वक्त रोजे भी रखे थे तथा ईद भी वहीं मनाई थी। उनकी कामयाबी से समाज में सकारात्मक संदेश गया है।
– हाजी नासिर सिद्दीकी, अमरोहा निवासी
खुशबू ने तोड़ा मिथक
खुशबू ने मिथक तोड़ कर साबित किया है कि तालीम मिलने पर वह हर क्षेत्र में देश सेवा कर सकती हैं।
– इफ्तेखार सैफी, अमरोहा निवासी
सभी के लिए प्रेरणास्रोत
खुशबू मिर्जा सबके लिए प्रेरणास्रोत बनी हैं। उनकी कामयाबी ने मुस्लिम बेटियों को आगे बढऩे के लिए रास्ता दिखाया है।
– अली मकीन नकवी, अमरोहा निवासी
जश्न की तैयारी में अमरोहा
अपनी बिटिया की उपलब्धि से परिजनों को ही नहीं बल्कि पूरे अमरोहा को उन पर नाज है। चंद्रयान-1 की सफलता के दौरान भी अमरोहा ने न सिर्फ जश्न मनाया था बल्कि अपनी बेटी को सिर-आंखों पर बैठाया था। अब दस साल बाद फिर से जश्न मनाने की तैयारी है।
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