राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों को प्राइवेट ऑपरेटर चलाते नजर आ सकते हैं। रेलवे की योजना है कि वह ऐसी प्रीमियम ट्रेनों का परमिट देगी। इस तरह से कमर्शल ऑपरेशन प्राइवेट हो जाएगा जबकि कोच और इंजन रेलवे का ही रहेगा।
आने वाले वक्त में राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों को प्राइवेट ऑपरेटर चलाते नजर आ सकते हैं। रेलवे की योजना है कि वह ऐसी प्रीमियम ट्रेनों का परमिट देगी। इस तरह से कमर्शल ऑपरेशन प्राइवेट हो जाएगा जबकि कोच और इंजन रेलवे का ही रहेगा। रेलवे इसके अलावा यात्रा किराए की ऊपरी सीमा भी तय कर देगा यानी ऑपरेटर तय किराए से अधिक नहीं वसूल पाएगा। इस तरह से रेलवे के खर्च कम होंगे और इससे पैसेंजर्स को भी अच्छी सर्विस मिलेगी।
इस तरह के परमिट टेंडर के आधार पर दिए जाएंगे, ऐसे में रेग्युलेटर की भी आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि रेलवे के प्लान में इसके लिए कोई समय सीमा नहीं रखी गई है लेकिन जिस तरह के मॉडल की बात की गई है, उससे संकेत हैं कि यह प्लान लागू करने के लिए रेलवे को लंबी चौड़ी कवायद की जरूरत नहीं पड़ेगी। रेलवे के सूत्रों का कहना है कि मोदी सरकार के सत्ता में लौटने के बाद रेलवे ने तैयार किए अपने इस प्लान में प्रीमियम ट्रेन के परमिट देने की योजना को भी शामिल किया है।
पहले यह माना जा रहा था कि रेलवे को ट्रेनों का निजीकरण करने के लिए रेग्युलेटर बनाना अनिवार्य होगा, लेकिन अब रेलवे ने जिस तरह का संकेत दिया है कि उससे लग रहा है कि रेग्युलेटर नियुक्त करने से पहले भी इस प्लान को लागू किया जा सकता है।
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