यमुना एक्सप्रेस वे पर सात वर्ष में छह हजार से अधिक हादसे घटित हुए हैं। इनमें नौ सौ से अधिक लोगों की मौत हुई है। नौ हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं। दुर्घटना का प्रमुख कारण हाई स्पीड में वाहनों का दौड़ना माना जा रहा है।
वाहनों की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा तय की गई है, लेकिन वे 180 से 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ रहे हैं। युवा वर्ग रफ्तार का आनंद लेने के लिए एक्सप्रेस वे पर ड्राइविंग कर रहा है। शराब पीकर वाहनों को चलाने वालों की संख्या भी कम नहीं है।
हाई प्रोफाइल एक्सप्रेस वे पर प्रति दिन 20 से 22 हजार वाहन गुजरते हैं। वाहनों की रफ्तार पर नजर रखने के लिए निर्माण के समय जेपी समूह द्वारा 164 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, इस समय सभी कैमरे खराब हैं। एक्सप्रेस वे पर इमरजेंसी की सूचना देने के लिए लगाए गए आईओएस सिस्टम भी खराब हैं।
यह तो छोड़िए एक भी ट्रॉमा सेंटर भी नहीं बना है। यदि एक्सप्रेस वे पर चार-पांच ट्रॉमा सेंटर खोल दिए जाएं तो हादसों में घायलों को त्वरित इलाज मिलने से मरने वालों की संख्या कम हो सकती है। आंकड़ों पर गौर करें तो एक्सप्रेस वे पर 2012 में 275 हादसों में 33 की मौत, 2013 में 897 हादसों में 118 की मौत, 2014 में 771 हादसों में 127 की मौत, 2015 में 252 हादसों में 41 की मौत, 2016 में 980 हादसों में 226 की मौत, 2017 में 883 हादसों में 173 की मौत, वर्ष 2018 में 1000 से अधिक हादसों में 300 से अधिक की मौत हो चुकी है।
प्रमुख हादसे.. – 7 मई को थाना मांट क्षेत्र में एंबुलेंस पलटने से महिला की मौत, तीन घायल -29 मई को थाना राया में दो बसों की भिड़त में चालक की मौत, 5 घायल -4 जून को थाना बलदेव क्षेत्र में बस पलटने से चार की मौत, 25 घायल – 9 जून को थाना मांट में महिला की मौत, चार घायल – 10 जून को पांच की मौत, चार घायल – 16 जून को थाना बलदेव क्षेत्र में 8 की मौत, 2 घायल
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