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शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा को फिर से आईना दिखा कर अपनी मंशा साफ कर दी है कि महाराष्ट्र में वे अपने तरीके से ही चलेंगे. अपनी विचारधारा को लेकर शिवसेना ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में न तो कांग्रेस की सुनेगी और न ही राकांपा की. वह हिंदुत्व के अपने एजंडे पर कायम है, चाहे सरकार चले या नहीं चले. नाटकीय घटनाओं के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना ने विपरीत विचारधारा वाली पार्टियों कांग्रेस-राकंपा के साथ सरकार बनाई है और उद्धव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री बने. कहा जा रहा है कि विधानसभा सत्र के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. करीब पंद्रह दिनों के बाद विभागों का बंटवारा हुआ. फिर अगले दिन ही विभागों में फेरबदल भी किया गया.
यानी एक संशय की स्थिति बनी हुई है साथ-साथ चलने के बावजूद. इस गठबंधन को लेकर तीनों ही पार्टियों के नेताओं का कहना है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत यह सरकार बनी है. लेकिन सरकार बनने के बाद अब तक तीसरा मौका है जब शिवसेना ने कांग्रेस से अलग रुख अपनाया है. हालांकि सावरकर वाले मुद्दे पर जब मतभेद सामने आए थे तो गठबंधन के नेताओं का कहना है कि थोड़ा बहुत मतभेद तो होंगे और उनकी ओर से बिहार में भाजपा और जेडीयू गठबंधन का उदाहरण दिया गया कि कई मुद्दों पर उनमें भी मतभेद है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में भारत बचाओ रैली में कहा कि उनका नाम राहुल सावरकर नहीं है, जो माफी मांगेंगे. दरअसल भाजपा ने उनसे ‘रेप इन इंडिया’ वाले बयान पर माफी मांगने को कहा था. राहुल रैली में उसी बात का जवाब दे रहे थे. लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की यह बात गठबंधन की साथी शिवसेना को नागवार गुजरी है. शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने ट्वीट किया कि वीर सावरकर न सिर्फ महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश के लिए आदर्श हैं. सावरकर का नाम राष्ट्र और स्वयं के बारे में गौरव को दर्शाता है. नेहरू और गांधी की तरह सावरकर ने भी देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया. ऐसे हर आदर्श को पूजनीय मानना चाहिए. इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता. संजय राउत के इस बयान का महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी समर्थन किया है. उन्होंने राहुल गांधी के बयान को देशभक्तों का अपमान बताया और उन्हें एक बार फिर से इस बयान के लिए माफ़ी मांगने की बात कही.
लोकसभा में शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया और पक्ष में वोट डाला. इतना ही नहीं शिवसेना नेताओं ने इस बिल के समर्थन में खुलकर बयान भी दिए. इसके बाद जब यह बिल राज्यसभा पहुंचा तो पहले शिवसेना ने कहा कि लोकसभा में उसकी ओर से कुछ सुझाव दिए गए थे जब तक इस पर कोई जवाब नहीं मिलेगा वह बिल का समर्थन नहीं करेगी. एक बार ऐसा लगा कि शिवसेना राज्यसभा में इस बिल के खिलाफ वोट डालेगी. लेकिन वोटिंग होने पर राज्यसभा से वॉकआउट कर गई और एक तरह से उसने विरोध जताते हुए सरकार की ही मदद की. नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर में हो रहे प्रदर्शनों पर विपक्ष का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलने वाला है. लेकिन शिवसेना ने इस प्रतिनिधिमंडल में भी जाने से इनकार कर दिया है. राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता. शिवसेना इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं है.
दूसरी तरफ बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि शिवसेना अपने मूल एजंडे पर अभी भी कायम है, इसलिए इन्होंने नागरिकता संशोधन बिल पर केंद्र सरकार का साथ दिया और अब सावरकर को भी लेकर इनको कांग्रेस का रवैया बर्दाश्त नहीं है. लेकिन फिर भी कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के साथ अभी भी बनी हुई है तो यह सब कांग्रेस का दोहरा चरित्र नहीं है तो और क्या है. हालांकि बसपा प्रमुख ने अब तक इस बात पर सफाई नहीं दी कि नागरिकता संशोधन विधेयक को पास कराए जाने पर उसने तो सरकार की मदद की तो क्यों की.
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