
राघव श्रोत्रिय
यूनिक समय, बरसाना। प्रसिद्ध राधारमण मंदिर की सीढ़ी के नीचे रास्ते में भगवान शंकर की मूर्ति दबे होने के सपने को सच मानकर गांव वालों ने रास्ते को खोद दिया। इस वाक्या को देखने के लिए ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा। देर शाम मूर्ति के ना निकलने पर गड्ढे को मिट्टी डालकर बंद कर लिया।
ग्रामीणों का अंध विश्वास एक सपने पर इस कदर हावी रहा कि राधारमण मंदिर की पहली सीढ़ी के नीचे शंकर की मूर्ति दबी होने पर पांच फुट गहरे रास्ते की खुदाई कर डाली। यह वाक्य बरसाना से चार किलोमीटर दूर स्थित गांव संकेत का है। जानकारी के अनुसार भरती पंडित की लड़की मंजू की शादी 12 वर्ष पहले जमुनापार के गांव कल्याणपुर में हो गई थी। उसको रोजाना स्वप्न में शंकर जी आकर कहते कि गांव के राधारमण मंदिर की पहली सीढ़ी के नीचे जमीन में दबा हूं, मुझे खुदाई कर निकलवाओ। मंजू सपने को लोक लज्जा कर कारण दबाती रही। अब उसे रोजाना शंकर स्वप्न में आकर कहने लगे तो वह अपनी ससुराल से अपने मायके गांव संकेत आई और सारा वाक्य अपने माता पिता को बताया। पिता भरती ने गांव प्रधान जयपाल व ग्रामीण बुद्धा पहलवान, यादराम, राधाकिशन, शंकर, मोहनश्याम, नर्सिपाल निरतो, कन्हैया,किशनु तथा हेतराम आदि को स्वप्न वाली बात बताई तो ग्रामीणों ने मजदूर लगाकर मंदिर की सीढ़ियों के नीचे रास्ते को खोदना चालू कर दिया। मंदिर के रास्ते की खुदाई व शंकर जी मूर्ति दबे होने बात गांव में आग की तरह फैल गई और महिला बच्चे पुरुष मंदिर की तरफ दौड़ पड़े। देखते ही देखते तमाशबीनों की भीड़ एकत्र हो गई। शाम तक चार से पांच फीट की खुदाई हो जाने के बाद भी कोई मूर्ति नहीं निकली। देर शाम को मूर्ति के नहीं निकलने पर गांव वालों ने खोदे गए गड्ढे को मिट्टी डाल कर बन्द कर दिया।
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