नई दिल्ली। आयकर कानून के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय छूट की सीमा से ज्यादा होती है तो उसके लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है। वहीं, आय छूट की सीमा के अंदर होने पर आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य तो नहीं है, लेकिन अगर आप इसे औपचारिकता मानकर भी भर देते हैं तो आपको कई तरह के फायदे मिल सकते हैं। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर 2021 है। आइए जानते हैं कि अगर आप तय अवधि से पहले आईटीआर दाखिल कर देते हैं तो आपको क्या फायदा मिल सकता है।
किसके लिए इनकम टैक्स छूट की सीमा है कितनी
सालाना 2.5 लाख रुपये कमाने वाले 60 साल तक के व्यक्ति को इनकम टैक्स से छूट मिलती है। वहीं, 60 साल से ज्यादा या 80 साल से कम उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए टैक्स छूट की सीमा 3 लाख रुपये है। इसके अलावा 80 साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 5 लाख रुपये है। बैंक लोन, क्रेडिट कार्ड एप्लिकेशन या वीजा लेने के लिए टैक्स के दायरे से बाहर होने के बाद भी इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना बेहतर होता है।
इनकम कम होने पर भी क्यों भरना चाहिए ITR
सभी बैंक इनकम टैक्स रिटर्न में दाखिल की गई आपकी सालाना आय के आधार पर आपको दिया जाने वाला लोन अमाउंट तय करते हैं। सभी बैंक लोन की आसान प्रोसेसिंग के लिए आईटीआर का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में अगर आप होम, ऑटो या पर्सनल लोन लेना चाहते हैं तो बैंक आपसे कम से कम पिछले 2 साल का आईटीआर मांगते हैं। कई बैंक 3 साल का आईटीआर भी मांगते हैं. लिहाजा, आईटीआर भरना फायदे का सौदा साबित हो सकता है।
आईटीआर दाखिल करने से टर्म डिपॉजिट जैसी बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज के साथ ही डिविडेंड इनकम पर भी टैक्स की बचत की जा सकती है। आईटीआर रिफंड के जरिए आप टैक्स क्लेम कर सकते हैं। इसके अलावा अगर कई स्रोतों की कमाई से कुल आय 2.5 लाख रुपये से ज्यादा हो जाती है तो कटा हुआ टीडीएस क्लेम कर सकते हैं।
इनकम टैक्स असेसमेंट ऑर्डर को वैलिड एड्रेस प्रूफ के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल आधार कार्ड बनवाने में भी किया जा सकता है। कंपनी की ओर से कर्मचारियों को फॉर्म-16 जारी किया जाता है, जो इनकम प्रूफ होता है। खुद का काम करने वाले या फ्री-लांसर के लिए भी ये डॉक्यूमेंट वैध इनकम प्रूफ की तरह काम करता है।
टैक्सपेयर के लिए किसी घाटे को क्लेम करने के लिए तय तारीख के अंदर इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना जरूरी होता है। ये घाटा कैपिटल गेंस, बिजनेस या प्रोफेशन के रूप में हो सकता है।
अगर आप विदेश जा रहे हैं तो ज्यादातर देश आईटीआर की मांग करते हैं। इससे पता चलता है कि व्यक्ति टैक्स कंप्लायंट सिटिजन है। इससे वीजा प्रोसेसिंग अधिकारियों को आपकी वित्तीय हालात और आय के बारे में साफ जानकारी मिलती है। इससे वीजा मिलने में काफी आसानी हो जाती है।
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