तोर्शवनी। क्रूरता की हद क्या होती है, ये जानने के लिए डेनमार्क के फरो आइलैंड्स की घटना के बारे में जानना जरूरी है। यहां 1428 डॉल्फिन की बेदर्दी से हत्या कर दी गई। उन्हें मार दिया गया। इस दौरान इतना खून बहा की समुद्र का किनारा लाल हो गया। दूर-दूर तक सिर्फ लाल रंग ही दिख रहा था। मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर ऐसा किसने और क्यों किया? आगे इसका जवाब देंगे। लेकिन उससे पहले बता दें कि इस घटना के बाद सरकार सख्त कानून बनाने जा रही है, जिससे की आगे ऐसी क्रूरता न हो। किसने और क्यों की इतनी डॉल्फिन की हत्या…?
डॉल्फिन का शिकार फरो आइलैंड्स में आयोजित होने वाले ग्रिंड नाम के एक पारंपरिक हंटिंग इंवेट के दौरान किया गया। यानी एक लाइन में कहें तो मनोरंजन के लिए इनकी हत्या की गई।
इस घटना के बाद फरो आइलैंड्स की सरकार डॉल्फिन शिकार नियमों की समीक्षा करेगी। हत्या की तस्वीरें देखकर एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट ने इसकी आलोचना की।
व्हेलिंग के खिलाफ अभियान चलाने वाले सी शेफर्ड के ग्लोबल चीफ एक्जीक्यूटिव कैप्टन एलेक्स कॉर्नेलिसन ने कहा कि फरो आइलैंड्स में इतने बड़े पैमाने पर डॉल्फिन की हत्या को देखना भयावह है।
लोकल ब्रॉडकास्टर क्रिंगवर्प फोरोया के फेसबुक पेज पर एक कमेंटेटर ने कहा, इस तरह की तस्वीर देखकर मैं घबरा गया हूं। एक अन्य यूजर ने कहा, मैं इसके लिए बहुत शर्मिंदा हूं।
हर साल इस द्वीप के लोग पायलट व्हेल को पानी में ले जाते हैं, जहां उन्हें चाकू मार दिया जाता है। हालांकि इस शिकार के लिए कानून में अलग से प्रावधान हैं। व्हेल के मांस और ब्लबर को स्थानीय लोग आपस में बांट लेते हैं। हालांकि व्हाइट-साइड डॉल्फिन और पायलट व्हेल, जिन्हें मारा गया है वे लुप्तप्राय प्रजाति नहीं हैं।
फरो आइलैंड्स एक सेल्फ गर्वनिंग द्वीपसमूह है, जो डेनमार्क का हिस्सा है। इसमें उत्तरी अटलांटिक महासागर में आइसलैंड और नॉर्वे के बीच 18 चट्टानी, ज्वालामुखी द्वीप शामिल हैं, जो सड़क सुरंगों, घाटों, पुलों और पुलों से जुड़े हैं।
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