काबुल। दहशत के बूते अपनी सरकार चलाना चाहता है। यह बात वो खुद स्वीकार कर चुका है। तालिबान के संस्थापक सदस्य मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने न्यूज एजेंसी AP को एक इंटरव्यू में संकेत दिए कि तालिबानी शासन में लोगों को क्रूर सजा देने का सिलसिला जारी रहेगा। क्योंकि तालिबान का तर्क है कि सुरक्षा के लिए हाथ काटने की सजा देना जरूरी है। ऐसी क्रूर सजाएं लोगों में खौफ पैदा करती हैं। हालांकि तालिबान अभी यह तय करने में लगा कि ऐसी सजाएं सावर्जनिक दी जाएं या नहीं। इसके लिए तालिबान सरकार पॉलिसी बना रहा है।
मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी के बयान से साफ हो गया है अफगानिस्तान में फिर से 20 साल पुराना खौफनाक दौर लौट रहा है। यह वीडियो इसकी एक बानगी है।
This is sick
why they have to punish a young boy, make him cry in public? #Education is the only way to change the mindset of new generation not the punishment.#Badakhshan #Afghanistan #Taliban pic.twitter.com/MFtUivw3Hs— Panjshir_Province (@PanjshirProvin1) September 24, 2021
यह वीडियो नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स के समर्थन में twitter पर चलने वाले पेज Panjshir_Province पर शेयर किया गया है। इसमें लिखा गया-‘उन्हें एक युवा लड़के को दंडित क्यों करना पड़ा? उसे सार्वजनिक रूप से क्यों रोना पड़ा? नई पीढ़ी की मानसिकता बदलने के लिए शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है; सजा नहीं।’
तालिबान अफगानिस्तान में कुरान के आधार पर कानून व्यवस्था बनाने में लगा है। 90 के दशक में काबुल के स्टेडियम और ईदगाह मस्जिद के मैदान में लोगों को सरेआम क्रूर सजाएं दी जाती थीं।
यह वीडियो तोलाकान शहर के करीब एक गांव का है। यहां इस तरह से छुपकर मिनी सिनेमा चल रहे हैं। यहां 5 अफगानी मुद्रा में फिल्म देखने वालों को आइसक्रीम और फ्रेंच फ्राइस दिया जाता है। हालांकि यहां फिल्में देखना खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि तालिबान ने अभी फिल्में देखने की इजाजत नहीं दी है।
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