न्यूक्लियर पावर प्लांट में आग ने बढ़ाया चेरनोबिल से बड़ा खतरा, जेलेंस्की बोले- युद्ध रूके

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नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का 4 मार्च को 9वां दिन है। इस बीच रूसी सेना ने यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र, ज़ापोरिज्जिया एनपीपी पर हमले से आग लग गई है। इस हादसे के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति ने युद्ध रोकने का तरीका बताया है। इसी बीच एक भारतीय छात्र को गोली लगी है।

ज़ापोरिज्जिया एनपीपी पर हमले के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने युद्ध रोकने की अपील की है। साथ ही पुतिन को इसका तरीका भी बताया है। जे़लेंस्की ने एक वीडियो जारी करके यह अपील की है। ज़ेलेंस्की ने कहा कि यूरोप को जागना चाहिए। रूसी गोलाबारी के बाद परमाणु ऊर्जा संयंत्र में आग लगी है। इस NPP में 6 बिजली इकाइयाँ हैं। यूक्रेन में 15 बिजली इकाइयां हैं। एक चेरनोबिल में विस्फोट हुआ था, आपको याद है कि यह कैसे समाप्त हुआ था।”

बताया जाता है कि इसके तीन रियेक्टर ऑफलाइन थे। 2 और हाल में बंद किए गए थे। लेकिन एक रियेक्टर अभी भी चल रहा है। यूरोप के सबसे बड़े न्यूक्लियर प्लांट पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी रूस से अपील की है कि वह प्लांट के आसपास गोलीबारी बंद करें। साथ ही आग बुझाने के लिए आपातकालीन सेवाओं को अपना काम करने दें।

यूक्रेन के विदेश मामलों के मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने बताया कि रूसी सेना यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र, ज़ापोरिज्जिया एनपीपी पर हर तरफ से गोलीबारी कर रही है। आग पहले ही भड़क चुकी है। अगर यह उड़ता है, तो यह चेरनोबिल से 10 गुना बड़ा होगा। दिमित्रो कुलेबा ने रूसी सेना से तत्काल आग बुझाने के उपाय करने को कहा है। उन्होंने कहा कि अगर आग पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो यह काफी खतरनाक हो सकता है। परमाणु उर्जा संयंत्र के पास तत्काल सिक्योरिटी जोन बनाए जाने की जरूरत है।

यूक्रेन में Zaporizhzhia परमाणु ऊर्जा संयंत्र में 6 रिएक्टर हैं। यह पूरे यूरोप में सबसे बड़ा और पृथ्वी पर 9वां सबसे बड़ा रिएक्टर माना जाता है। यह संयंत्र चेरनोबिल शहर से करीब 16 किमी दूर और कीव से 100 किमी की दूर स्थित है। यहां 1986 में दुनिया की सबसे भीषण परमाणु आपदा सामने आई थी। 25-26 अप्रैल,1986 के दरमियान तत्कालीन सोवियत-नियंत्रित यूक्रेन में तकनीशियनों के एक समूह ने एक सुरक्षा परीक्षण किया था, जो फ़्लॉप हो गया था। इसके बाद चेरनोबिल के रिएक्टर नंबर 4 में कई धमाके हुए थे। यह अब तक की सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटना है। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा था। तब पर्यावरण को विकिरण हादसे से बिगड़ने से रोकने के लिए 1.8 करोड़ सोवियत रूबल (वर्तमान करीब 5 खरब भारतीय रुपये खर्च करने पड़े थे। उस समय मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ के राष्ट्रपति थे। 2006 में उन्होंने उल्लेख किया था कि चेरनोबिल में न्यूक्लियर हादसा ही शायद सोवियत संघ के पतन की वजह बना।

यूक्रेन के पड़ोसी देश पोलैंड में मौजूद केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह ने बताया कि खबर मिली कि कीव से आ रहे एक छात्र को गोली लगी है। उसे बीच रास्ते से ही वापस कीव ले जाया गया है। सिंह के मुताबिक, सरकार कम से कम नुकसान में ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को निकालने की कोशिश कर रही है।

बता दें कि 24 फरवरी को भारतीय समयानुसार सुबह 8.30 बजे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का ऐलान किया था। इसके बाद रूस की सेना ने यूक्रेन पर हवाई हमले शुरू कर दिए। इन हमलों बाद यूक्रेन की राजधानी कीव के अलावा खार्किव, मारियुपोल और ओडेसा में बर्बादी के मंजर दिखाई देने लगे हैं।

 

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