श्रीनगर। अनंतनाग में ईद की नमाज के बाद CRPF पर पथराव का मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार, ईद-उल-फितर की नमाज के बाद कुछ असमाजिक तत्वों ने नारेबाजी की। जब सुरक्षाबलों ने उन्हें ऐसा करने से रोका, तो वे पथराव करने लगे। इस बीच आतंकवाद के खिलाफ जारी लड़ाई( Terrorism in Jammu and Kashmir) में सुरक्षाबलों को एक और बड़ी सफलता हासिल हुई है। भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के एक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। तीन आतंकवादी पकड़े गए हैं। ये बाहरी मजदूरों पर ग्रेनेड से हमले की साजिश रच रहे थे। इन आतंकवादियों को सोपोर के हैगाम गांव से गिरफ्तार किया गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, इन आतंकियों के पास से चीन निर्मित तीन पिस्टल बरामद हुए हैं। इसके अलावा अन्य कई आपत्तिजनक सामग्री भी मिली हैं, जिनका इस्तेमाल करके लोगों को भड़काना था। आशंका है कि ये आतंकवादी किसी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। पुलिस की शुरुआत पड़ताल में सामने आया कि ये आतंकी बाहरी मजदूरों समेत पंचायत से जुड़े जनप्रतिनिधियों पर हमले की प्लानिंग कर रहे थे।
#Eid: Now stone pelting reported following #EidAlFitr congregational prayers in Anantnag district of South Kashmir… pic.twitter.com/z8L4pyQKq0
— Rahul Upadhyay (@rahulrajnews) May 3, 2022
भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस को खुफिया जानकारी मिली थी कि ये आतंकवादी सोपोर में छुपकर किसी साजिश की प्लानिंग कर रहे हैं। ये आतंकवादी सोपोर से श्रीनगर जा रहे थे। इस सूचना के बाद भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस अलर्ट हो गई। 29 राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू कश्मीर पुलिस ने तुरंत नाका बंदी की। ये आतंकवादी देर रात हैगाम में बगीचे के रास्ते जाते नजर आए। इन्होंने सुरक्षाबलों को देखकर भागने की कोशिश की, लेकिन पकड़े गए। पकड़े गए आतंकवादियों के नाम तफहीम रियाज, शाहबाज मीर और रमीज अहमद खान हैं।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से आतंकवादी संगठनों में बौखलाहट है। पाकिस्तान अब बड़े हथियारों के बजाय छोटे हथियार भेज रहा है। ड्रोन के जरिए तस्करी कराने में लगा रहता है। वहीं सॉफ्ट टारगेट पर हमले करवाकर दहशत फैलाने की कोशिश करता है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक सुर्खियां न मिलने से आतंकी बौखलाए हुए हैं। आतंकवादी संगठनों ने ऐसे लोगों को अपने साथ जोड़ रखा है, जो पूर्णकालिक आतंकवादी नहीं हैं। वे सरकारी या प्राइवेट जॉब करते हैं। घटना को अंजाम देने के बाद हैंडलर को हथियार वापस कर देते हैं।
इसके बावजूद इस साल मार्च और अप्रैल के महीनों में आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है। अक्टूबर 2021 में आतंकवादियों ने प्रवासी कामगारों और कश्मीरी पंडितों पर कई हमले करके दहशत फैलाई थी। लिहाजा, सुरक्षाबलों को भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ी है। सुरक्षा बल नियमित रूप से घाटी में खुफिया-आधारित अभियानों के अंजाम दे रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में लश्कर और जैश जैसे संगठनों के शीर्ष कमांडर मारे गए हैं।
Leave a Reply