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लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक दूसरे को अपने वोट ट्रांसफ़र नहीं कर पाए इसीलिए उनका प्रदर्शन बहुत बुरा रहा, ये नतीजा निकालना थोड़ी जल्दबाज़ी होगी.
दोनों पार्टियों ने अपने वोट ट्रांसफ़र करने में अलग-अलग स्तर पर सफलता हासिल की लेकिन दो वजहों से उनका प्रदर्शन बहुत मामूली रहा.
पहला इन चुनावों में दोनों ही पार्टियों के कोर मतदाताओं की संख्या घटी यानी सपा को यादवों और बसपा को दलितों के कम वोट मिले.
गठबंधन के कमज़ोर प्रदर्शन का दूसरा कारण है दोनों पार्टियों का अन्य समुदायों पर पकड़ ढीली होना, जो उन्हें पिछले कई चुनावों में वोट देते रहे थे.
ग़ैर-यादव ओबीसी समुदायों में सपा का और ग़ैर-जाटव दलित जातियों में मायावती का जनाधार घटा है.
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