
जबलपुर। कोरोना के चलते अन्य बीमारियों ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। इसका असर उन बच्चों पर भी देखने को मिल रहा है, जिन्होंने अभी अभी इस दुनिया में कदम रखा है। पोस्ट कोविड इफेक्ट का असर उन नवजात शिशुओं में भी देखने को मिलने लगा है, जिनकी मां गर्भावस्था के दौरान कोरोना से संक्रमित हुई थी।
डॉक्टरों की मानें तो जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कोरोना संक्रमण हुआ था, उनसे जन्मे नवजात शिशुओं में पोस्ट कोविड इफेक्ट साफ नजर आ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक जबलपुर जिले में ही अब तक 50 से ज्यादा ऐसे नवजात शिशु सामने आए हैं, जिनमें मल्टी-सिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम बीमारी देखने को मिल रही है। इस बीमारी में नवजात शिशु के कई अंग प्रभावित होते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि नवजात शिशुओं में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के चलते किडनी, हार्ट, लीवर और ब्रेन पर असर पड़ रहा है।
डॉक्टर के मुताबिक जिन गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के आखिरी महीनों में कोरोना संक्रमित होने के बाद उनके शरीर में जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी, वही रोग प्रतिरोधक क्षमता अगर बच्चे में जरूरत से ज्यादा चली गई तो उसके अंदरूनी अंग प्रभावित हुए हैं. ऐसे बच्चों को ज्यादा देखरेख की जरूरत है. ऐसे मामले देशभर के अस्पतालों के सामने आए हैं, लिहाजा कई शिशु रोग विशेषज्ञ लगातार इस पर अध्ययन कर रहे हैं।
डॉक्टर के मुताबिक नवजात शिशुओं को मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम बीमारी से बचाने के लिए गर्भावस्था के दौरान ही शिशु रोग विशेषज्ञ की भी सलाह लेनी चाहिए। ताकि बच्चे की देखरेख गर्भावस्था के दौरान ही सही तरीके से हो सके। यह बात तो साफ हो गई है कि कोरोना महामारी भले ही आने वाले समय में खत्म हो जाए लेकिन इसका असर दशकों तक देखने को मिलेगा। लिहाजा जरूरत है कि अभी भी जो लापरवाही बरती जा रही है उस पर लगाम लगाई जाए वरना वर्तमान के साथ-साथ देश का भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा।
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