
यूनिक समय, नई दिल्ली। आज, 5 मई को पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ सीता नवमी का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन माता सीता का प्राकट्य हुआ था, इसीलिए इसे जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
सीता नवमी का धार्मिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राजा जनक संतान की कामना से यज्ञ हेतु भूमि जोत रहे थे, तब उन्हें हल चलाते समय धरती से एक कन्या प्राप्त हुई थी, जो आगे चलकर माता सीता के रूप में पूजित हुईं। कहा जाता है कि त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने राम के रूप में और माता लक्ष्मी ने सीता के रूप में अवतार लिया था। इस दिन माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा करने से जीवन के दुखों का नाश होता है, सुख-शांति आती है, वैवाहिक जीवन में मजबूती आती है और मोक्ष की प्राप्ति भी संभव होती है।
पूजा का मुहूर्त
नवमी तिथि प्रारंभ: 5 मई 2025, सुबह 7:35 बजे
नवमी तिथि समाप्त: 6 मई 2025, सुबह 8:39 बजे
पूजा का शुभ मुहूर्त: 5 मई को सुबह 7:36 से 10:20 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:52 बजे से 12:45 बजे तक
ध्यान दें कि माता सीता का जन्म पुष्य नक्षत्र में मध्याह्न काल में हुआ था और 6 मई को यह काल नहीं है, इसलिए पर्व 5 मई को ही मनाया जा रहा है।
पूजा विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर श्रीराम और सीता माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
- दूध, पुष्प, धूप, फल और नैवेद्य अर्पित करें।
- विधिपूर्वक आरती करें और मंत्र जाप करें।
- शाम को पुनः आरती कर प्रसाद ग्रहण करके व्रत पूरा करें।
- अंत में जरूरतमंदों को दान अवश्य करें।
इन मंत्रों का करे जाप
- ॐ सीतायै नमः
- ॐ श्री सीता रामाय नमः
- श्री जानकी रामाभ्यां नमः
- ॐ जनकनन्दिन्यै विद्महे रामवल्लभायै धीमहि। तन्न: सीता प्रचोदयात्।।
- ॐ जनकजाये विद्महे रामप्रियाय धीमहि। तन्नो सीता प्रचोदयात्।।
सीता नवमी का यह पावन दिन संपूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएं और जीवन में शांति, समृद्धि व सौभाग्य की प्राप्ति करें।
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