पाकिस्तान में आम चुनाव से ठीक पहले अमेरिका ने मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) को एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है. एमएमएल मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद के नेतृत्व वाले आतंकवादी संगठन जमात- उद दावा का राजनीतिक मोर्चा है. अमेरिका की इस कार्रवाई का एमएमएल ने विरोध किया है. एमएमएल ने इसे पाकिस्तान की संप्रभुता को कमजोर करने और मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया है.
एमएमएल के प्रवक्ता ने अमेरिका की इस कार्रवाई को पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में खुला हस्तक्षेप बताया है. उसका कहना है कि, अमेरिकी किसी भी राजनीतिक दल और उसके नेताओं को आतंकवादी के रूप में घोषित करने का अधिकार नहीं रखता है.
प्रवक्ता ने कहा, अगर अमेरिका के पास एमएमएल के खिलाफ सबूत हैं तो वो उसे सामने लाए. एमएमएल इस मामले में अमेरिका के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार है.
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही पाकिस्तान चुनाव आयोग ने एमएमएल को राजनीतिक पार्टी के तौर पर पंजीकरण के लिए गृह मंत्रालय से मंजूरी प्रमाणपत्र लाने को कहा था. इसके एक दिन बाद यह कदम उठाया गया है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय में आतंकवाद-निरोध समन्वयक नाथन ए. सेल्स ने कहा, ‘एमएमएल और टीएजेके दोनों ही लश्कर-ए-तैयबा के मोर्चे हैं और इनको संगठन पर लगे प्रतिबंधों से बचने के लिए बनाया गया है. आज के संशोधनों का लक्ष्य प्रतिबंधों से बचने के लश्कर-ए-तैयबा के रास्तों को बंद करना और उसके झूठे चरित्र को लोगों के सामने लाना है.’
सेल्स ने कहा, ‘कृपया आप दिग्भ्रमित ना हों. लश्कर-ए-तैयबा चाहे कोई भी नाम बदल ले, वह हमेशा हिंसक आतंकवादी संगठन ही रहेगा. अमेरिका उन सभी कदमों का समर्थन करता है, जो यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हिंसा का रास्ता पूरी तरह छोड़ने तक लश्कर-ए-तैयबा को कोई राजनीतिक मंच/आवाज ना मिले.’
बता दें कि जमात-उद दावा का संगठन लश्कर-ए तैयबा पूरी दुनियाभर में अपनी आतंकी करतूतों को लेकर बदनाम है. अमेरिका ने भी संगठन और हाफिज सईद को आतंक का आका माना है. यहां तक कि उसे आजाद घूमने की इजाजत मिलने पर भी अमेरिका ने विरोध किया था.
मुंबई में 26/11 हमले का मास्टरमाइंड भी हाफिज सईद ही है. ऐसे में पाकिस्तानी एनएसए और वहां की सत्ता पर काबिज दल के नेताओं द्वारा हाफिज सईद के संगठन की तारीफ करना आतंक के प्रति उसके मददगार रुख और भारत के आरोपों को और मजबूती देता है.
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