
यूनिक समय, नई दिल्ली। देश में बढ़ते भाषा विवादों के बीच बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं और भाषा थोपने की प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि जनगणना, नई शिक्षा नीति और भाषायी मुद्दों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है।
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि “जनगणना, लोकसभा सीटों के पुनर्वितरण, नई शिक्षा नीति और भाषा थोपने जैसे मुद्दों पर हो रहे विवादों का राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग सार्वजनिक और राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। संविधान के अनुसार पूरे देश को साथ लेकर चलना ही सुशासन की पहचान है।”
उन्होंने खास तौर पर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब, दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के बच्चों की शिक्षा पर चिंता जताई। मायावती ने सरकार से अंग्रेजी शिक्षा के महत्व को समझने और इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “आईटी और तकनीकी क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए अंग्रेजी ज्ञान आवश्यक है। ऐसे में इन वर्गों के बच्चों को अंग्रेजी से वंचित रखना सामाजिक अन्याय के समान है।”
भाषा विवाद को लेकर उन्होंने यह भी कहा कि किसी भाषा के प्रति नफरत फैलाना अनुचित है और सभी भाषाओं का समान आदर होना चाहिए।
इसके साथ ही मायावती ने दिल्ली में हुई एक संगठनात्मक समीक्षा बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में पार्टी के विस्तार और मजबूती पर चर्चा की गई। उन्होंने उत्तर प्रदेश में दलितों और गरीबों पर बढ़ते अत्याचारों पर भी गहरी चिंता जताई और इसे ‘बेहद गंभीर’ बताया।
मायावती के इस बयान को देशभर में चल रहे भाषायी और शैक्षिक नीतियों को लेकर विवादों के बीच एक अहम हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है।
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