केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पेश कर दिया.
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पेश कर दिया. भाजपा सहित एनडीए की अधिकतर सहयोगी पार्टियां इस विधेयक का समर्थन कर रही हैं वहीं कांग्रेस व अन्य 11 दल इस बिल के खिलाफ हैं. इस बिल में भारत में छह साल या उससे अधिक समय से रहे उन शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात कही गई है जो हिंदू, जैन, पारसी, सिख, बौद्ध और इसाई धर्म से ताल्लुक रखते हैं. इस बिल में मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात नहीं कही गई है..इस कारण विपक्ष इस विधेयक का विरोध कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक संविधान की समरसता के सिद्धांत के खिलाफ है. सरकार ने दावा किया है कि इस बिल के माध्यम से उन्हीं शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी जिन्हें उनके देश में प्रताड़ित किए जाने का सबूत हो..
सरकार का दावा है कि भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को कई बार प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है और इस कारण वे अपना सबकुछ छोड़कर भारत भाग आते हैं. ऐसे शरणार्थियों के लिए यह विधेयक लाया गया है. दूसरी तरफ विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रहा है कि वह भारत आने वाले सभी शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात नहीं कर रही है. वह धर्म के आधार पर लोगों को बांट रही है जो देश के संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना के खिलाफ है..लोकसभा में दोपहर 12 बजे बिल के पेश होते ही विपक्षी पार्टियों ने हंगामा करना शुरू किया. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस विधेयक के जरिए देश के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. इस बात पर अमित शाह ने कांग्रेस और चौधरी को वॉकआउट न करने की सलाह दी और कहा कि आपके हर सवाल का जवाब दूंगा..अमित शाह ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह बिल न ही संविधान के खिलाफ है और न ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ. सदन में हो रहे हंगामें पर शाह ने कहा कि हमें देश की जनता ने 5 सालों के लिए चुना है तो आपको हमें सुनना पड़ेगा..अधीर रंजन चौधरी पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि मैं उनके गुस्से का कारण समझता हूं. यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ नहीं है. साथ ही यह बिल संविधान के किसी अनुच्छेद के खिलाफ नहीं है. शाह ने कहा कि विधेयक 0.01 प्रतिशत अल्पसंख्यकों के भी खिलाफ नहीं है..
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