एएन-32 विमान हादसा : जहरीले सांपों के बीच 12 जवानों की टीम 9 दिन से फंसी

नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हुए वायुसेना के अठ-32 विमान में सवार 13 लोगों के शवों को लाने गई रेस्क्यू टीम खराब मौसम के कारण खुद ही फंस गई है। रिपोट्र्स के अनुसार वायुसेना, सेना और पर्वतारोहियों की 12 लोगों की संयुक्त टीम पिछले 9 दिनों से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर फंसी हुई है।

यहां पर फंसे रेस्क्यू टीम को सांप-बिच्छू जैसे जहरीले जीवों के खतरे के साथ ही खाने की दिक्कत का भी सामना करना पड़ रहा होगा. खराब मौसम के कारण उन्हें जरूरत का राशन भी नहीं पहुंचाया जा सकता. उन्हें बचाने के लिए मौसम ठीक होने का इंतजार किया जा रहा है. मौसम सही होने के बाद ही रेस्क्यू टीम को हेलिकॉप्टर से एयरलिफ्ट किया जा सकता है।

रेस्क्यू टीम 12 जून से दुर्घटनास्थल पर हैं. उन्हें तलाशी अभियान के लिए ‘एयरड्रॉप’ किया गया था. पश्चिमी सिआंग जिला सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी गिजुम ताली ने बताया कि भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के नौ कर्मियों, नागरिक पर्वतारोही ताक तमुत और उसके दो सहयोगियों को शी योमी जिला प्रशासन द्वारा तैनात किया गया है. ताकि हेलीकॉप्टर सेवा बाधित रहने की स्थिति में वे ‘फुट ट्रेक’ के दौरान मार्गदर्शन कर सके.

3 जून को लापता हुआ था विमान
रूसी एएन-32 विमान ने 3 जून को असम के एयरबेस से उड़ान भरी थी. इस विमान में वायुसेना 8 क्रू समेत 13 लोग सवार थे. इस विमान का पता लगाने के लिए आठ दिनों तक तीनों सेनाओं की मदद से तलाशी अभियान चलाया गया. इस दौरान एमआई-17 हेलिकॉप्टर को अरुणाचल प्रदेश के जंगल में एएन-32 का मलबा दिखाई दिया.

20 जून से फंसी रेस्क्यू टीम
इसके बाद सियांग जिले के जंगलों में दो हेलिकॉप्टर के जरिए 12 जून को 12 लोगों की रेस्क्यू टीम को जंगल में उतारा गया. इस टीम ने 19 जून को 6 लोगों के शव बरामद किए. इसके बाद 20 जून को 7 अन्य लोगों के पार्थिव शरीर निकाल लिए गए. लेकिन इस दिन से ही मौसम खराब हो गया और रेस्क्यू करने गई टीम खुद ही वहां फंसी हुई है.

हमेशा होती है बारिश
अरुणाचल के इस इलाके में ज्यादा टर्बुलेंस है. यहां पर हमेशा बारिश होती रहती है. यहां 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलती है और घाटियों के संपर्क में आने से यह ऐसी स्थिति पैदा करती है कि यहां उड़ान भरना मुश्किल होता है. यहां पर दूर-दूर तक जंगल है, जिसके कारण आबादी नहीं है.

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