मिर्जापुर। नज़र-नवाज़ नज़ारा बदल न जाए कहीं, जरा-सी बात है मुँह से निकल न जाए कहीं, वो देखते है तो लगता है नींव हिलती है, मेरे बयान को बंदिश निगल न जाए कहीं। यह चंद लाइन इन दिनों जिले की राजनीति पर सटीक बैठ रहा है। जिले की सियासत में इन दिनों चिट्ठी को लेकर जंग छिड़ी हुई है। सांसद अनुप्रिया पटेल का कहना है कि उनके लिखे गए किसी भी चिट्ठी का डीएम साहब जवाब नहीं देते हैं।
मिर्जापुर डीएम के जरिए भाजपा सरकार को घेर रहीं अनुप्रिया पटेल
असल में बात यह है कि यह डीएम को मुहरा बनाकर अनुप्रिया पटेल भाजपा सरकार को घेरने के लिए ताना बाना बुन रही हैं, जहां इन सब के पीछे की असली खुन्नस बीता हुआ लोकसभा चुनाव बताया जा रहा है। बात 2019 लोकसभा चुनाव की है। फरवरी का माह था, जहां चुनाव का बिगुल बज चुका था। जिले की सियासत की सरगर्मी तेज थी, वहीं एक दूसरे के ऊपर वार व पलटवार का दौर भी अपने चरम सीमा को पार कर रहा था।
2019 लोकसभा चुनाव की निकाल रही अनुप्रिया पटेल खुन्नस
2014 लोकसभा चुनाव में अमित शाह और नरेन्द्र मोदी को अपने कप-प्लेट में चाय पिलाकर चुनाव में टिकट हासिल करने वाली अपना दल एस की नेता अनुप्रिया पटेल भी इस कड़ी में एक विपक्षी नेत्री की भूमिका निभाते हुए सुबह से शाम तक पानी पी पीकर भाजपा को कोसने में जुटी थी। उन दिनों में अनुप्रिया पटेल ने यह भी धमकी दे दिया था कि उनकी मांग पूरी न होने पर भाजपा से रास्ता जुदा जुदा हो जाएगा। अनुप्रिया पटेल के बाद बचा खुचा कोर कसर आशीष पटेल पूरा कर दिया करते थे।
अनुप्रिया पटेल का चुनाव में यह पूरा प्रोपोगेंडा सिर्फ सीट व अपने राजनैतिक वर्चस्व के लिए था, जहां दो सीट मिलने के बाद भाजपा से पुनः बात बन गयी। लोकसभा का चुनाव होने के बाद अपना दल एस दोनों सीट पर चुनाव में फतह हासिल किया, जहां पूर्ण बहुमत से भाजपा सरकार दुबारा सत्ता में आई। सत्ता में आने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि अनुप्रिया पटेल को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। समर्थक मिठाई बनाकर व माला लेकर तैयार थे कि ऐन वक्त पर खबर आई कि अनुप्रिया पटेल को इस बार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं दिया जायेगा।
मंत्री न बनाये जाने के बाद भाजपा से रिश्तों में कड़वाहट
अनुप्रिया पटेल के मंत्री न बनाये जाने के बाद भाजपा से रिश्तों में कड़वाहट और बढ़ गयी। यह सभी बात इसलिए कहा जा रहा है कि इन दिनों अनुप्रिया पटेल जिलाधिकारी को मुहरा बनाकर सरकार को घेरने में जुटी हुई है। चुनाव के वक्त अपनी मीठी आवाज से मतदाताओं को लुभाने वाली अनुप्रिया पटेल लगातार डीएम को चिट्ठी लिखकर जवाब मांग रही है। अनुप्रिया पटेल का कहना है कि डीएम न उनके पत्र को संज्ञान में लेते है और ना ही किसी लोकार्पण या शिलान्यास के कार्यक्रम में बुलाते हैं। ऐसे में यह राजनैतिक वर्चस्व की लड़ाई कितने दिनों तक चलेगी, यह वक्त तय करेगा।
सियासत का न कोई रंग होता है न रुख। ऐसे में कभी एक दूसरे के बिना एक कदम भी नहीं चलने वाले दो राजनैतिक दल के रिश्तों में अब खटास कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। एक तरफ सांसद अनुप्रिया पटेल जिलाधिकारी पर हमलावर दिख रही है तो इस मामले में भाजपा तनिक भी दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। जाहिर है कि यह पूरा मामला सिर्फ जिले में अपना राजनैतिक दबदबा बनाने के लिए किया जा रहा है, जहां भाजपा किसी भी तरह से किसी और को हावी नहीं होने देना चाह रही है।
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