धर्म: अपरा एकादशी कल ! जानें शुभ—मुहूर्त और सटीक ​पूजा विधि

नई दिल्ली। अपरा एकादशी 2020 हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। अचला एकादशी इस बार 18 मई सोमवार को मनाई जाएगी। हालांकि एकादशी की शुरुआत 17 मई 2020 को दोपहर 12 बजकर 42 मिनट से हो जाएगी। लेकिन सूर्योदय का समय बीत जाने के कारण अगले दिन से एकादशी मानी होगी। इस एकादशी को भद्रकाली एकादशी और जलक्रीड़ा एकादशी के काम से भी जाना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन जो भी भक्त पूरे विधि-विधान के साथ पूरे दिन उपवास करता है उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है। प्रेत बाधा कभी नहीं परेशान करती है। उसके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है और उसे समाज में यश और वैभव की प्राप्ति होती है। अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। कई धर्म पुराणों में भी इस बात का उल्लेख है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। पद्मपुराण में लिखा है कि अपरा एकादशी के दिन पूरे मन और विधि-विधान से व्रत करने से मरने के बाद नर्क की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती हैं। आत्मा प्रेत योनी में नहीं भटकती बल्कि मुक्त हो जाती है।

अपरा एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त:
अपरा एकादशी तिथि प्रारंभ: 17 मई 2020 को दोपहर 12 बजकर 42 मिनट से एकादशी लग जाएगी।

एकादशी तिथि सामाप्‍त: 18 मई 2020 को दोपहर 03 बजकर 8 मिनट तक एकादशी का समापन हो जाएगा।

एकादशी व्रत पारण का समय: 19 मई 2020 को सुबह 5 बजकर 28 मिनट से सुबह 8 बजकर 12 मिनट तक.

अपरा एकादशी की पूजा करें इस तरह:
एकादशी व्रत की तैयारी एक दिन पहले यानी कि दशमी के दिन से ही करनी शुरू कर दें। इसके लिए दशमी को रात में खाना खाने के बाद अच्छे से दातून से दांतों को साफ़ कर लें ताकि मुंह जूठा न रहे। इसके बाद आहार ग्रहण न करें और खुद पर संयम रखें। साथी के साथ शारीरिक संबंध से परहेज करें। एकादशी के दिन सुबह उठकर नित्यकर्म करने के बाद। नए कपड़े पहनकर पूजाघर में जाएं और भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प मन ही मन दोहरायें। इसके बाद भगवान विष्णु की आराधना करें और पंडित जी से व्रत की कथा सुनें। ऐसा करने से आपके समस्त रोग, दोष और पापों का नाश होगा। इस दिन मन की सात्विकता का ख़ास ख्याल रखें।

विष्णु भगवान की पूजा करते समय करें इस मंत्र का पाठ:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय .

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