Ayodhya Case: रामलला के वकील बोले कोई नहीं छीन सकता ईश्वर का हक

सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिक पीठ आज नौवें दिन अयोध्या भूमि विवाद पर सुनवाई कर रही है। अब तक मामले में क्‍या हुआ जानने के लिए पढ़ें रिपोर्ट…

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ आज यानी बुधवार को नौवें दिन अयोध्या भूमि विवाद पर सुनवाई कर रही है। रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि जब संपत्ति भगवान में निहित होती है तो कोई भी उसको ले नहीं सकता है। उससे ईश्वर का हक नहीं छीना जा सकता। ऐसी संपत्ति पर एडवर्स पजेशन का कानून लागू नहीं होगा। कल मंगलवार को आठवें दिन रामलला विराजमान की ओर से दलीलें रखी गई थीं। वैद्यनाथन ने एएसआइ की रिपोर्ट का उल्‍लेख करते हुए कहा था कि इसमें प्रमाण हैं कि विवादित ढांचे से पहले वहां हिंदू मंदिर था। साकेत मंडल के राजा गोविन्द चंद्र ने 11वीं शताब्दी में अयोध्या में विष्णु हरि का मंदिर बनवाया था।

वैद्यनाथन ने कल कहा था कि विवादित ढांचे की जगह मंदिर होने की पुष्टि वहां से मिले एक शिलालेख से होती है। इस पर मंदिर के निर्माण का उल्‍लेख है। सोमवार को सातवें दिन मामले की सुनवाई नहीं हो पाई थीं क्‍योंकि पांच जस्‍टिस वाले बेंच में से एक जस्‍टिस बोबडे अस्‍वस्‍थ होने के कारण कोर्ट नहीं आ सके थे। इससे पहले की सुनवाई में रामलला विराजमान की ओर से कहा गया था कि विवादित स्थल पर देवताओं की अनेक आकृतियां मिली हैं। इसके साथ ही उन्‍होंने विवादित स्थल का निरीक्षण करने के लिए अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर की रिपोर्ट का हवाला दिया था।

वैद्यनाथन ने विदेशी यात्रियों की किताबों का जिक्र करते हुए कहा था कि अयोध्या में एक किला या महल था। हिंदुओं का विश्वास है कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था। पिछली सुनवाइयों पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े से पूछा था कि क्या आपके पास कुर्की से पहले का राम जन्मस्थान के कब्जे का मौखिक या रेवेन्यू रिकॉर्ड है। निर्मोही अखाड़ा की ओर से जवाब में बताया गया कि 1982 में एक डकैती हुई थी, जिसमें सारे रेकॉर्ड गुम हो गए थे। पूर्व की सुनवाई के दौरान आरएसएस के पूर्व थिंकटैंक केएन गोविंदाचार्य ने अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग की मांग की थी जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने चौथे दिन सुनवाई के दौरान सोमवार से शुक्रवार तक हर दिन सुनवाई करने का फैसला किया था। पांच दिन सुनवाई की बात पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने आपत्ति जताई थी, जिसे शीर्ष आदलत ने नकार दिया था। सनद रहे कि अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कोशिश नाकाम होने पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने रोजाना सुनवाई का फैसला किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। इसमें एक हिस्सा भगवान रामलला विराजमान, दूसरा निर्मोही अखाड़ा व तीसरा हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को देने का आदेश था।

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