अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट को मुस्लिम पक्षकारों ने लिखा पत्र, की ये मांग

अयोध्या रामजन्मभूमि विवादित परिसर व पुरातत्व विभाग की ओर से कराई गई खुदाई से प्राप्त अवशेषों और गड्ढों के पाक्षिक निरीक्षण में मुस्लिम पक्षकारों को रोके जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मुस्लिम पक्ष से जुड़े मौलाना मुफ्ती हस्बुल्लाह बादशाह खान और अपीलकर्ता महफूजुर्रहमान के नामित पैरोकार मौलाना खालिक अहमद खां ने सुप्रीम कोर्ट और अधिग्रहीत परिसर के कानूनी रिसीवर मंडलायुक्त अयोध्या को रजिस्ट्री डाक से पत्र भेजा है. उन्होंने इस पत्र में मांग की है कि इस प्रकरण का सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले और बिना किसी अग्रिम आदेश के खुदाई से प्राप्त अवशेष रखे तीन कमरों के ताले न खोले जाएं.

ASI ने की थी खुदाई

बता दें इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के आदेश पर वर्ष 2002-03 में विवादित जमीन से जुड़े मुकदमे के निस्तारण के लिए साक्ष्य की तलाश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से विवादित परिसर क्षेत्र में खुदाई कराई गई थी. मुकदमे से जुड़े सभी पक्षों के पक्षकारों की मौजूदगी के बीच कराई गई खुदाई से प्राप्त अवशेषों को अधिगृहित परिषद क्षेत्र के ही तीन कमरों में रखा गया है. इन कमरों में ताला लगाकर सील बंद किया गया है. सील पर सभी पक्षकारों के हस्ताक्षर हैं. उच्च न्यायालय लखनऊ की ओर से खुदाई से प्राप्त अवशेषों तथा खुदाई स्थल स्थित ट्रचों के निरीक्षण के लिए दो जजों के नेतृत्व में पुरातत्व विभाग के अधिकारी तथा पक्षकारों की टीम गठित की गई थी. यह टीम गड्ढों और क्षेत्र के रखरखाव के लिए जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों के साथ प्रत्येक माह में 2 बार रविवार को निरीक्षण करती है.

मुस्लिम पक्षकारों को रोके जाने का विरोध

9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की ओर से विवादित जमीन का फैसला रामलला के पक्ष में दिए जाने के बाद आरोप है कि जब ट्रेंचों और कमरों के निरीक्षण के लिए मुस्लिम पक्षकार जा रहे थे तो उनको रंगमहल बैरियर से ही वापस कर दिया गया. मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि अभी सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस दिशा में कोई विधिक निर्देश नहीं दिया गया है. ऐसे में हाईकोर्ट के निर्देश पर जो प्रक्रिया चल रही है उसको बाधित नहीं किया जा सकता. न्यायिक और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की टीम पहले की तरह निरीक्षण कर रही है. बावजूद इसके मुस्लिम पक्षकारों को निरीक्षण में जाने से रोका जा रहा है.

मौलाना खालिक अहमद खां का कहना है कि अभी सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई आदेश नहीं दिया गया है. ऐसे में मुस्लिम पक्षकारों को निरीक्षण के लिए जाने से नहीं रोका जा सकता. यह पूरी तरह अवैधानिक है. परिसर के रिसीवर मंडलायुक्त को लिखित शिकायत दी जा रही थी, लेकिन उन्होंने लेने से इनकार कर दिया. इसके चलते सुप्रीम कोर्ट और रिसीवर को रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजा गया है. पत्र में सुप्रीम कोर्ट से विवादित परिसर का निरीक्षण बहाल और बिना मुस्लिम पक्षकारों के अवशेष रखे कमरों का ताला न खोलने की मांग की गई है.

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