एक के बाद एक बड़े कांग्रेसी नेताओं पर CBI अपना शिकंजा कसती जा रही है। देश के पूर्व वित्त मंत्री और बड़े कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के बाद कर्नाटक कांग्रेस के बड़े नेता डी शिवकुमार पर अपना शिकंजा कसने के बाद अब एक और कांग्रेस के बड़े नेता CBI की हत्थे चढ़ गए हैं। अब उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर CBI ने अपना शिकंजा कस लिया है। हरीश रावत पर विधायकों की ख़रीद-फरोख़्त का आरोप लगाया गया है।
गौरतलब है कि साल 2006 में एक कथित वीडियो पर मामला दर्ज किया गया था जिसकी जांच CBI को सौंपी गई थी। यह वीडियो उस वक़्त सामने आयी थी जब पूरे राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू था। उस वक़्त हाई कोर्ट ने हरीश रावत सरकार को राहत दे दी थी। इसके बाद ही हरीश रावत फ्लोर टेस्ट साबित कर पाए थे और बहुत साबित करने में कामयाब हुए थे। जो वीडियो साल 2006 में सामने आया था उसमें हरीश रावत विधायकों की खरीद-फरोख्त की बातचीत करते हुए दिखाई दिए थे। दरअसल कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके विधायकों को वापस पार्टी में लाने के लिए हरीश रावत उस वीडियो में पैसों के लेन-देन की बातचीत करते हुए दिखाई दिए।
इस मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने CBI को अपनी जांच आगे बढ़ाने के निर्देश जारी किए हैं। वहीं उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रावत के खिलाफ मामला दर्ज करने का भी आदेश जारी किया है। बता दें कि अपनी जांच के बाद CBI ने कोर्ट को एक सीलबंद लिफ़ाफ़े में अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इस मामले में सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ही नहीं बल्कि कई और लोगों के नाम भी मुकदमा दर्ज किया गया है। जिन लोगों के खिलाफ CBI ने मुकदमा दर्ज किया है उनमें कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले हरक सिंह रावत प्रमुख हैं। मौजूदा समय में हरक सिंह त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री के पद पर हैं। इसके अलावा CBI ने अपना शिकंजा नोएडा स्थित समचार प्लस चैनल के प्रधान संपादक उमेश शर्मा पर भी कस लिया है। इस मामले में अधिकारीयों ने कहा कि शर्मा ने ही हवाई अड्डे के लाउंज में एक स्टिंग ऑपरेशन किया था।
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