फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद फिल्मी दुनिया के कई लोग फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद को लेकर आवाज उठा रहे हैं. वहीं जाने माने गायक सोनू निगम ने गुरुवार को अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में वो कह रहे हैं कि अभी तो फिल्म अभिनेता सुशांत राजपूत ने आत्महत्या की है. लेकिन म्यूजिक इंडस्ट्री में जिस तरह का माफिया सक्रिय है, हो सकता है कि आने वाले समय में इस इंडस्ट्री से भी आत्महत्या की खबर आए. लगभग साढ़े सात मिनट के इस वीडियो में सोनू निगम ने बताया है कि किस तरह एक-दो लोगों ने पूरी म्यूजिक इंडस्ट्री पर अपना कब्जा जमा रखा है. वो तय करते हैं कि किस कलाकार से गाना गवाना है और किसे रोकना है.
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वीडियो की शुरुआत में उन्होंने चीन के साथ संघर्ष में शहीद हुए 20 भारतीय जवानों की बात करते हुए दुख भी प्रकट किया है.
उन्होंने वीडियो में कहा- गुड मॉर्निंग, नमस्ते… मैंने बहुत दिनों से वीलॉग नहीं किया. असल में मेरा मूड नहीं था. पूरा भारत कई प्रेशर से गुजर रहा है. एक तो मेंटल और इमोशनल प्रेशर, सुशांत सिंह राजपूत के जाने के बाद में. दुख होना लाजमी भी है, क्योंकि अपने सामने एक जवान जिंदगी को जाते हुए देखना आसान नहीं है. कोई बहुत निष्ठुर ही होगा जिसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता हो. इसके अलावा भारत-चीन के बीच जो चल रहा है. जिसमें भारत के 20 जवान जो घंटों लड़ने के बाद, तड़प-तड़प कर मरे हैं. मैं एक भारतीय हूं उससे भी ज्यादा एक इंसान हूं आपकी तरह. मुझे दोनों ही चीजें ठीक नहीं लगतीं. क्या चल रहा है मारा-मारी. इंसान, इंसान को मार रहा है. ये चीजें समझदारी से भी हैंडल हो सकती हैं अगर इंसान चाहे तो. भारत तो चाहता है लेकिन सामने वाला शायद तैयार नहीं है या फिर उसका एजेंडा है कोई. जो दुख की बात है सभी लोगों के लिए..’
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सोनू निगम ने आगे कहा कि मैं इस वीलॉग से एक रिक्वेस्ट करना चाहता हूं, खासकर म्यूजिक इंडस्ट्री से. क्योंकि आज सुशांत सिंह राजपूत मरा है. एक एक्टर मरा है. कल को आप किसी सिंगर के बारे में भी ऐसा सुन सकते हैं या फिर किसी म्युजिक कंपोजर के बारे में भी. या किसी गीतकार के बारे में सुन सकते हैं. क्योंकि म्युजिक इंडस्ट्री का जो माहौल है हमारे देश में, फिल्मों से बड़ा माफिया म्यूजिक इंडस्ट्री में है दुर्भाग्य से. मैं समझ सकता हूं कि बिजनेस करना जरूरी है लोगों के लिए. सभी को लगता है कि वो बिजनेस को रूल करें. मैं लकी था कि बहुत कम उम्र में आ गया था तो मैं इस चंगुल से निकल गया. लेकिन जो नए बच्चे आए हैं उनके लिए बहुत मुश्किल है.
सोनू ने कहा, ‘मैं सबसे बात करता हूं. कितने लड़के-लड़कियां मुझसे इस बारे में बात करते हैं. वो बच्चे हैं, परेशान हैं वो कि निर्माता काम करना चाहते हैं, निर्देशक काम करना चाहते हैं, म्युजिक कंपोजर काम करना चाहते हैं लेकिन म्युजिक कंपनी बोलेगी कि ये हमारा आर्टिस्ट नहीं है. मैं समझ सकता हूं कि आपलोग बहुत बड़े हैं, आपलोग म्युजिक इंडस्ट्री को कंट्रोल करते हैं कि रेडियो में क्या बजेगा, फिल्मों मे..लेकिन ऐसा मत कीजिए. दुआ बद्दुआ बहुत बड़ी चीज होती है. ये ठीक नहीं है. ये जो दो लोगों के हाथों में ताकत है ना, दो लोग हैं बस म्युजिक इंडस्ट्री के, दो कंपनी है. उनके हाथों में ताकत है कि वो तय करें कि इसको गवाओ, इसको मत गवाओ..’
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सोनू ने आगे कहा कि मैं इन सब से निकल गया हूं, मैं अपनी दुनिया में बहुत खुश हूं. लेकिल मैंने नई सिंगर्स, नए कंपोजर्स, नए गीतकार की आंखों मे वो उलझन देखी है. खुल कर रोते हैं वो कभी-कभी. अगर वो मर गए तो आपके ऊपर भी सवाल खड़े होंगे. ये सब गंधर्व लोग हैं, इन्हें प्रताड़ित मत कीजिए. मेरे साथ ऐसा हो सकता है कि मेरे गाने कोई दूसरा एक्टर तय करें. वही एक्टर जिसपर आज कल लोग उंगलियां उठ रहे हैं, वो कह रहा है कि इससे गाने मत गवाओ. उसने अरिजीत सिंह के साथ भी वही कर रखा है.
सोनू ने आगे कहा, मैनें कितने गानों गा रखें है जिसकी डबिंग हो चुकी है. सोचिए मैंने आपसे काम नहीं मांगा, लेकिन आप मुझे बुला के मुझसे गाने गवा के फिर मेरे गाने डब करना, ये क्या है. मैं 1991 से मुंबई में काम कर रहा हूं और म्यूजिक इंडस्ट्री में 1989 से काम कर रहा हूं.. आप जब मेरे साथ ऐसा कर सकते हैं तो फिर छोटे बच्चों के साथ क्या कर रहे होंगे? एक सिंगर से आप 10 गाने गवाएं और फिर उससे कहें कि 11वें गाने में तुझे लेंगे. तू मेरी कंपनी में है तो मैं ही तुझे काम दूंगा. तू कितना ही अच्छा कलाकार क्यों नहीं है मैं तुमसे काम नहीं करवाऊंगा.. ये ठीक नहीं है. मेरा तो वक्त निकल गया है लेकिन नए लोगों को बहुत झेलना पड़ रहा है.
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सोनू ने आगे कहा कि मैं जो देख रहा हूं वही कह रहा हूं, कुछ लोग कहेंगे कि सोनू ने मेरा नाम लिया. लेकिन मेरा मानना है कि क्रिएटिविटी दो लोगों के हाथ में नहीं होनी चाहिए. सब आप ही तय करोगे तो म्यूजिक कैसे अच्छा होगा? पहले म्यूजिक कितना अच्छा होता था. राजकपूर का अलग होता था, ओपी नय्यर का अलग होता था और शंकर जय किशन का अलग. सबका वेरिएशन था पहले, अभी म्यूजिक इंडस्ट्री संकुचित होती जा रही है. और लोग आत्महत्या ना कर ले तो आप लोग थोड़ा दयालू हो जाइए. हैप्पी बिरादरी की तरह जीवन बिताइए.
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