तिराड़ जेल के इन 12 बंदियों की वजह से शांत है कश्मीर!

नई दिल्ली। तिहाड़ जेल के इन 12 बंदियों की वजह से 370 हटने पर भी शांत है। कश्मीर कश्मीर में पत्थरबाजी करानी हो, स्कूल-कॉलेज में आग लगवानी हो या कश्मीर बंद का ऐलान करना. ऐसे हर एक काम के पीछे हुर्रियत से जुड़े कुछ नाम यासीन मलिक, बिट्टा कराटे, नईम खान, मसरत भट्ट आलम, ज़हूर और आसिया अंद्राबी सहित 12 बड़े नाम हैं.

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद भी कश्मीर घाटी में अमन बना हुआ है। यहां सड़कों पर हंगामे की बात तो छोड़िए, अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद अभी तक एक नारा भी सुनाई नहीं दिया है। यहां तक की देश के दूसरे इलाकों में रह रहे कश्मीरी लोगों की तरफ से भी विरोध की कोई आवाज़ नहीं आई है. अगर यह मुमकिन हुआ है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाए गए एक बड़े कदम के बाद. हुर्रियत के एक स्टिंग का वीडियो सामने आने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया था

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देश के सामने आया था यह वीडियो
कश्मीर में पत्थरबाजी करानी हो, स्कूल-कॉलेज में आग लगवानी हो या कश्मीर बंद का ऐलान करना. ऐसे हर एक काम के पीछे हुर्रियत से जुड़े कुछ नाम यासीन मलिक, बिट्टा कराटे, नईम खान, मसरत भट्ट आलम, ज़हूर और आसिया अंद्राबी सहित 12 बड़े नाम हैं.

लेकिन कुछ समय पहले देश में स्टिंग ऑपरेशन का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें बिट्टा कराटे और नईम खान समेट कई लोग पैसा लेकर कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी और स्कूलों में आगजनी कराने का सौदा कराते हुए देखे गए थे.

हुरियत नेताओं का वीडियो सामने आते ही नरेन्द्र मोदी सरकार सख्त हो गई थी. हुर्रियत नेताओं का टेरर फंडिंग के मामले में कबूलनामा सामने आते ही एनआईए (NIA) ने कश्मीर सहित देशभर में छापेमारी शुरू कर दी थी. यह छापेमारी अभी तक चल रही है. कुछ दिन पहले यूपी के प्रयागराज में सौरभ शुक्ला को गिरफ्तार किया गया था. मोदी सरकार का सख्त रुख देखकर एनआईए ने 2017 से हुर्रियत नेताओं को एक-एक कर जेल में डालना शुरू कर दिया. इस वक्त हुर्रियत के 12 टॉप लीडर तिहाड़ जेल में बंद हैं. सबसे आखिर में मसरत भट्ट को जेल में डाला गया है.

कश्मीर में अमन के लिए सरकार ने दरकिनार किया ये लेटर
ऐसी संभावना थी कि अगर हुर्रियत नेताओं को कश्मीर की जेलों में बंद किया जाता तो ये लोग जेल से भी अपने गुर्गों को हुक्म देकर कश्मीर में बवाल करा सकते थे. अपने टेरर फंडिंग के नेटवर्क को चला सकते थे. ये ही वजह थी कि सभी को दिल्ली शिफ्ट कर तिहाड़ जेल में रखा गया.

इतना ही नहीं, सूत्रों की मानें तो बीते कुछ समय में यासिन मलिक, नईम खान, बिट्टा कराटे, आसिया अंद्राबी को कश्मीर की जेलों में शिफ्ट करने के लिए सरकार को कई लेटर मिले थे. लेकिन केंद्र सरकार ने कश्मीर में अमन बहाली के अपने कदम को देखते हुए ऐसे सभी खतों को दरकिनार कर दिया.

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