नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अब चारो तरफ बिहार विधानसभा चुनाव की बाते आम हो गई है। आज हर किसी की नजर बिहार के चुनाव पर ही टिकी हुई है। इसी लिए बिहार की हर छोटी से छोटी ख़बर इतनी बड़ी बन जाती है कि ऐसा लगता है जैसे बिहार के चुनाव ही देश की राजनीति की दिशा तय करेंगे। चाहे नीतीश कुमार की जदयू (JDU) हो,लालू यादव की राजद(RJD)हो, रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी हो,कांग्रेस हो,बीजेपी हो या अन्य स्थानीय छोटी पार्टियां हो,सब की साख इस चुनाव में दाव पर लगी हुई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद बिहार का चुनाव जीतना बीजेपी के लिए सबसे बड़ा चैलेंज हो गया है। झारखंड, महाराष्ट्र और दिल्ली की हार के बाद बीजेपी और पीएम मोदी की लोकप्रियता कम होती नजर आ रही है यही कारण है कि बीजेपी के हाथ से एक के बाद एक राज्य खिसकते जा रहे है।
महागठबंधन में पड़ी फूट, बीजेपी के लिये सही है या गलत
सबसे पहले हमें समझना चाहिये कि महागठबंधन में फूट क्यो पड़ रही है। तेजस्वी यादव, कांग्रेस, जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, शरद यादव, प्रशान्त किशोर और कन्हैया कुमार सब बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए एक साथ आकर महागठबंधन बना रहे है। अलग अलग दल और इतने सारे नेता जब एक साथ मिल जाते है तो सब से बड़ी परेशानी यही होती है कि कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर लड़ेगी और अगर महागठबंधन जीतता है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा। इन्ही दो सवालों को लेकर महागठबंधन में फूट पड़ रही है। देखना दिलचस्प होगा कि यह फूट बीजेपी और NDA के लिए सही या गलत साबित होती है। सूत्रों की माने तो बीजेपी चाहती है कि सभी पार्टियां एक साथ लड़े जिस से उत्तर प्रदेश की तरह बीजेपी को भारी फायेदा हो और बीजेपी NDA की बिहार में प्रचंड जीत पक्की हो सके।
क्यो है नीतीश के पलटने का डर
बीजेपी और अमित शाह के लिए बिहार का चुनाव बहुत ही अहम है। जहां एक तरफ महागठबंधन के टूटने की खबरों से बीजेपी को समझ नहीं आ रहा कि उसे खुश होना चाहिए या निराश होना चाहिए, क्योंकि अगर महागठबंधन एक साथ लड़ता है तो उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बीजेपी को बहुमत मिलने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं बीजेपी के लिए महा गठबंधन से ज्यादा नीतीश कुमार परेशानी का कारण बने हुए हैं, बीजेपी के बिहार सूत्रों की माने तो चुनाव से ठीक पहले नितीश कुमार कोई बड़ा उलटफेर कर सकते हैं इसीलिए बीजेपी हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। अगर किसी कारण से बिहार का चुनाव बीजेपी के हाथ से निकल जाता है तो पीएम मोदी और अमित शाह की चाणक्य नीति धरी की धरी रह जाएगी, इसका खामियाजा आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है।
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