नई दिल्ली। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी गुरूवार (12 दिसंबर) को आईआईएम के एक कॉन्फ्रेंस के पैनल डिस्कशन में बतौर वक्ता बुलाए गए थे। उनके अलावा इस समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद जयराम रमेश, पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु, बीजेपी नेता विनय सहस्त्रबुद्धे और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह को भी बुलाया गया था लेकिन स्वामी के अलावा किसी भी अतिथि ने समारोह में शिरकत नहीं की। चूंकि संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है, इसलिए इन सांसदों ने संसदीय कार्यवाही में भाग लिया जबकि पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी समारोह में पहुंचे थे।
समारोह को संबोधित करते हुए स्वामी ने कहा कि उन्होंने पार्टी लाइन और उसके व्हिप का उल्लंघन किया है क्योंकि यहां आना और लोगों को संबोधित करना उन्हें संसद की कार्यवाही से बेहतर लगा। स्वामी ने कहा कि इसके एवज में उन्हें सांसदी भी गंवानी पड़ सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी में जो कोई भी ऐसा करने की कोशिश करेगा, उस पर वो मुकदमा कर देंगे।
स्वामी ने बीजेपी को शिवसेना के साथ सरकार बनाने का नया फॉर्मूला दिया है। शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर भाजपा का साथ दिया था। लेकिन बुधवार को राज्यसभा में शिवसेना के सांसद वोटिंग से ठीक पहले वॉकआउट कर गए। इस पर स्वामी ने ट्वीट करते हुए लिखा ये अच्छी बात है कि शिवसेना ने अपने हिंदुत्व विचारधारा को पीछे नहीं छोड़ा है। नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ शिवसेना ने वोट नहीं किया। ये समय है कि बीजेपी और शिवसेना फिर से बातचीत शुरू करे। वो चाहे तो सीएम का पोस्ट ढाई साल तक के लिए रख सकते हैं।
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