गठबंधन की मर्यादा काे तोड़ने पर भाजपा ने जारी किया बयान

लोक सभा चुनाव 2019 के बाद आखिरकार भाजपा ने सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ एक बड़ा कदम उठा लिया और उन्हें यूपी सरकार में मंत्री पद से हटा दिया है। वहीं राजभर को हटाने के बाद भाजपा ने एक बयान जारी किया है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि प्रदेश में हमारे गठबंधन सहयोगी रहे ओम प्रकाश राजभर ने गठबंधन धर्म की मर्यादा का हर कदम पर ना केवल उल्लंघन किया बल्कि उसकी मर्यादा को भी तार-तार किया है इसलिए पार्टी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने सख्त कदम उठाया है।

भाजपा ने कहा कि लोक सभा चुनाव में राजभर ने भाजपा के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े किए, तो वहीं उन्होंने विपक्षी पार्टियों का समर्थन भी किया। साथ ही उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ गाली-गलौच भी की। इसलिए पार्टी ने उन्हें सरकार से मंत्री पद से हटाने का निर्णय लिया है।

सुभासपा के प्रदेश महासचिव ने बताया कि यदि अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को मंत्री पद का लालच होता तो इस तरह सरकार में रहकर सरकार की गलत नीतियों का विरोध नहीं करते। जो आज हुआ वो तो होना ही था, लेकिन ऐसे वक्त पर होना भाजपा की द्वेषपूर्ण मानसिकता को दर्शाता है।

प्रदेश सरकार के सहयोगी दल सुभासपा के अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने चुनाव से पहले ही सरकार के खिलाफ मुखर हो गए थे। लेकिन चुनाव के मद्देनजर सरकार मंत्री ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ कोई भी कदम उठाना मुनासिब नहीं समझ रही थी। क्योंकि इससे जनता में एक गलत संदेश जाता। लेकिन अंदरखाने इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि कभी भी मंत्रीपद से ओमप्रकाश को हाथ धोना पड़ सकता है।

भाजपा ने जारी किया बयान :

इसलिए हुए भाजपा से अलग :
लोकसभा चुनाव में राजभर ने पूर्वांचल की पांच सीटें मांगी लेकिन भाजपा ने लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं दी। भाजपा ने ओम प्रकाश राजभर की पसंदीदा सीट घोसी (मऊ) देने की पेशकश जरूर की लेकिन शर्त यह थी कि वह भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे।

ओम प्रकाश राजभर ने यह शर्त ठुकरा कर राजभर ने चुनावी मैदान में भाजपा के खिलाफ ताल ठोंक दी और फिर पांचवें, छठे और सातवें चरण में 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए। इनमें 22 सीटों पर सुभासपा उम्मीदवारों के नामांकन वैध पाए गए और राजभर ने अपने हर उम्मीदवार के मंच पर प्रचार के दौरान भाजपा पर जमकर वार किया।

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