महाराष्ट्र पर फिर बीजेपी की नजर: उद्धव पर आई अब तक की सबसे बड़ी मुसीबत, जानिए

मुंबई। एक महीने पुरानी उद्धव ठाकरे मंत्रिपरिषद का पहला विस्तार होते ही महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के तीनों घटक दल शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के अंदर मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर भारी असंतोष है। उद्धव ठाकरे की ही पार्टी शिवसेना के 12 विधायकों के पार्टी छोड़ने की सुगबुगाहट शुरू हुई है।

इसको लेकर पार्टी नेता ने साफ किया कि लिस्‍ट लंबी होने की वजह से कई विधायकों को मंत्री नहीं बनाया जा सका है। उद्धव ठाकरे ने नाराज नेताओं की एक बैठक बुलाई है। वहीं इसी बीच गुरूवार को शिवसेना ने माना कि हालिया मंत्रिपरिषद विस्तार के बाद तीनों दलों के विधायकों में गहरा अंसतोष है।

शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत के फेसबुक पोस्ट ने सस्पेंस और भी ज्‍यादा गहरा कर दिया है। चुनावों से पहले एनसीपी छोड़कर शिवसेना में आए भास्कर जाधव ने ठाकरे पर अपना वादा नहीं निभाने का आरोप लगाया है। फडणवीस सरकार में मंत्री रहे तानाजी सावंत भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से नाराज हैं।

सावंत सोलापुर और उस्मानाबाद जिलों में पार्टी के प्रभारी थे। उन्हें मंत्री नहीं बनाए जाने पर सोलापुर में पार्टी नेताओं ने बुधवार को एक बैठक की और उनके लिए एक मंत्रालय की मांग की है। यवतमाल-वाशिम के सेना सांसद भावना गवली और ठाणे के विधायक प्रताप सरनाईक ने भी कैबिनेट गठन पर नेताओं के चयन पर नाराजगी जताई है।

उधर, कांग्रेस के साथ-साथ एनसीपी नेताओं ने भी कहा कि उनकी पार्टियों के भीतर नाराजगी है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अबतक विभागों का बंटवारा नहीं हो सका है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लगभग एक महीने बाद उद्धव ठाकरे ने सोमवार 30 दिसंबर को मंत्रिमंडल का विस्तार किया था।

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