भाजपा का गणित हुआ फेल: एक वोट की कमी से 15 साल का किला ध्वस्त

कोरबा. दीपका में एक वोट की हार से भाजपा का १५ साल का किला ध्वस्त हो गया। कांग्रेस की संतोषी दीवान दीपका नगर पालिका की चौथी अध्यक्ष निर्वाचित हुई। अध्यक्ष पद के बाद उपाध्यक्ष पद पर भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ गया। भाजपा से चार लोगों ने फार्म भर दिया। आखिरी में दो ने नाम वापस ले लिया, लेकिन दो पार्षद नहीं माने। आखिर में दोनों को हार का सामना करना पड़ा।
कोरबा नगर निगम के बाद दूसरा बड़ा निकाय दीपका नगर पालिका परिषद् में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर सबकी नजरें टिकी हुई थी। दरअसल यहां बुधवार की सुबह तक भाजपा-कांग्रेस दोनों की स्थिति एक बराबर थी। दीपका में कुल 21 पार्षद हैं। दोनों ही पार्टियों के पास 10-10 पार्षदों का साथ था। बीएसपी के एक पार्षद ने एक दिन पहले तक अपना पत्ता नहीं खोला था। बुधवार की सुबह नगर पालिका कार्यालय में सभी 21 पार्षदों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। इसके बाद अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरु की गई। भाजपा ने अपनी ओर से कुसुमलता कैवत्र्य को मैदान में उतारा तो वहीं कांग्रेस ने संतोषी दीवान के नाम की घोषणा की। मतों की गणना की गई तो भाजपा के खाते में 10 वोट तो कांग्रेस के खाते में 11 वोट आए। महज एक वोट से भाजपा हार गई और इसी के साथ भाजपा का 15 साल की सत्ता कांग्रेस के कब्जे में चली गई।
इसी तरह उपाध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस ने सुनील अग्रवाल का नाम आगे किया। जबकि भाजपा में एक राय नहीं बनने की वजह से चार पार्षदों ने फार्म जमा कर दिया। गायत्री राठौर, संगीता साहू, अनूप यादव और अरूणीश तिवारी ने फार्म जमा किया। संगठन के कहने के बाद गायत्री राठौर और संगीता साहू ने नाम वापस ले लिया। जबकि अनूप और अरूणीश अड़े रहे। मतगणना में कांग्रेस के सुनील को 11 वोट, अनूप यादव को सात और अरूणीश तिवारी को तीन वोट मिले। इस तरह कांग्रेस ने उपाध्यक्ष पद पर भी कब्जा कर लिया।

निर्दलियों के सहारे नगर में सरकार बनाने का भाजपा का गणित हुआ फेल
भाजपा निर्दलीय पार्षदों को अपने पाले मेंं लिया और नगर में चौथी बार सरकार बनाने का सपना देखने लगी। यहां तक अध्यक्ष पद के लिए भी निर्दलीय से भाजपा में शामिल हुई कुसुमलता कैवत्र्य को अध्यक्ष पद का दावेदार बनाया, लेकिन भाजपा का यह गणित फेल हो गया। उपाध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय से कांग्रेस में शामिल हुए पार्षद अरूणीश तिवारी का चुनाव लडऩा भी भाजपा के लिए भारी पड़ गया।

चुनाव में नतीजे भाजपा के पक्ष में, आखिरी में समीकरण नहीं बैठा पाए
निकाय चुनाव में भाजपा को सबसे अधिक नौ पार्षद, कांगे्रेस को छह, पांच निर्दलीय व एक बीएसपी पार्षद चुनाव जीतकर आए थे। तब यह लगने लगा था कि भाजपा दीपका में तो हर हाल में सरकार बना लेगी। समीकरण बनाने में भाजपा पिछड़ती गई। कांग्रेस ने तीन निर्दलीय पार्षदों को शामिल कर बराबर की स्थिति में पहुंच गई। इसके बाद बीजेपी-कांग्रेस दोनों ने १-१ निर्दलीय पार्षदों को अपने पाले में लाकर १०-१० संख्या बल तक पहुंच गई। आखिरी में बसपा पार्षद का वोट निर्णायक भूमिका करने वाला था। बसपा ने कांग्रेस का साथ दिया। या फिर भाजपा। या फिर भाजपा से क्रास वोटिंग हुई। इसपर सस्पेंस बना हुआ है।

जिले में अब कांग्रेस 4-0 से हुई आगे
दीपका नगर पालिका में भी कांग्रेस की जीत से अब जिले में 4-0 से पार्टी आगे हो गई है। छुरी व पाली में तो कांग्रेस को बहुमत था, लेकिन कटघोरा व दीपका में भाजपा के पास वापसी का बेहतर मौका था। कटघोरा में जहां किस्मत ने भाजपा का साथ नहीं दिया। तो दीपका में भाजपा की कमजोर रणनीति की वजह से हार का सामना करना पड़ा। इस जीतहार के काफी मायने हैं। यहां 15 साल से भाजपा का कब्जा था। दुबे परिवार ने यहां दो बार अपनी सरकार बनाई थी। भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी ज्योतिनंद दुबे का गढ़ माना जाता है। इस गढ़ में सेंध लगाने में कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर सफल रहे।

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