अमरीशपुरी का खौफ हॉलीवुड तक था, एक्टिंग से इन किरदारों को बनाया अमर

मुंबई। फ़िल्मी दुनिया का जाना माना नाम अमरीश पुरी 22 जून 1932 को पंजाब के लाहौर में जन्मे थे. अमरीश ने अपने लंबे चौड़े कद, खतरनाक आवाज़ और दमदार शख़्सियत के जरिये सालों तक सिने प्रेमियों के दिल में खौफ बनाए रखा. साल 1985 वो दौर था जब अमरीश पुरी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बना रहे थे. उस वक़्त आई सुभाष घई की फिल्म मेरी जंग में नूतन सरीखे दिग्गज कलाकारों के बीच अमरीश पुरी ने अपनी जगह बनाई. फिल्म में अमरीश का जीडी ठकराल का किरदार दर्शकों को इतना पसंद आया कि उन्हें इस साल के फिल्म फेयर में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड दिया गया.

 फ़िल्मी दुनिया का जाना माना नाम अमरीश पुरी 22 जून 1932 को पंजाब के लाहौर में जन्मे थे. अमरीश ने अपने लंबे चौड़े कद, खतरनाक आवाज़ और दमदार शख़्सियत के जरिये सालों तक सिने प्रेमियों के दिल में खौफ बनाए रखा. साल 1985 वो दौर था जब अमरीश पुरी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बना रहे थे. उस वक़्त आई सुभाष घई की फिल्म मेरी जंग में नूतन सरीखे दिग्गज कलाकारों के बीच अमरीश पुरी ने अपनी जगह बनाई. फिल्म में अमरीश का जीडी ठकराल का किरदार दर्शकों को इतना पसंद आया कि उन्हें इस साल के फिल्म फेयर में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड दिया गया.

साल 1987 अमरीश पुरी के लिए बेहद ख़ास साबित हुआ. इस साल सिनेमा के पर्दे पर आई फिल्म मिस्टर इंडिया में अमरीश एक खतरनाक विलेन मोगैंबो की भूमिका में थे. मोगैंबो की इतनी दहशत थी कि उसके एक इशारे पर उसके सिपाही भयानक खौलते तेल में कूद जाते हैं. दहशत ऐसी की मिस्टर इंडिया का मोगैंबो खलनायकों की दुनिया में एक अमर किरदार बन गया. उनका डायलॉग मोगैंबो खुश हुआ तो बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के जुबान पर चढ़ गया.

 साल 1987 अमरीश पुरी के लिए बेहद ख़ास साबित हुआ. इस साल सिनेमा के पर्दे पर आई फिल्म मिस्टर इंडिया में अमरीश एक खतरनाक विलेन मोगैंबो की भूमिका में थे. मोगैंबो की इतनी दहशत थी कि उसके एक इशारे पर उसके सिपाही भयानक खौलते तेल में कूद जाते हैं. दहशत ऐसी की मिस्टर इंडिया का मोगैंबो खलनायकों की दुनिया में एक अमर किरदार बन गया. उनका डायलॉग मोगैंबो खुश हुआ तो बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के जुबान पर चढ़ गया.

अमरीश को सिर्फ मोगैंबो के लिए ही नहीं, बल्कि उनकी अलग-अलग फिल्मों में उनके डायलॉग की वजह से याद किया जाता है. जिसमें तहलका एक ऐसी फिल्म थी, जिसके लिए अगर कहा जाए कि इसे सिर्फ अमरीश पुरी के डायलॉग के लिए याद किया जाता है तो गलत नहीं होगा. फिल्म में अमरीश का नाम था डॉन्ग और सारी लड़ाई उनके आइलैंड डॉन्गरीला में लड़ी जाती थी. 1992 की इस फिल्म में अमरीश पुरी का एक डायलॉग डॉन्ग कभी नहीं होता रॉन्ग हमेशा याद रहने वाला है.

 अमरीश को सिर्फ मोगैंबो के लिए ही नहीं, बल्कि उनकी अलग-अलग फिल्मों में उनके डायलॉग की वजह से याद किया जाता है. जिसमें तहलका एक ऐसी फिल्म थी, जिसके लिए अगर कहा जाए कि इसे सिर्फ अमरीश पुरी के डायलॉग के लिए याद किया जाता है तो गलत नहीं होगा. फिल्म में अमरीश का नाम था डॉन्ग और सारी लड़ाई उनके आइलैंड डॉन्गरीला में लड़ी जाती थी. 1992 की इस फिल्म में अमरीश पुरी का एक डायलॉग डॉन्ग कभी नहीं होता रॉन्ग हमेशा याद रहने वाला है.

साल 1993 में रिलीज हुई राजकुमार संतोषी की फिल्म दामिनी एक बड़ी हिट साबित हुई. फिल्म में जहां सनी देओल के डायलॉग आज भी बच्चे-बच्चे के जुबान पर हैं, तो वहीं अमरीश पुरी के रोल को कौन भूल सकता है. फिल्म में अमरीश पुरी के बैरिस्टर इंदरजीत चड्ढा के किरदार ने दामिनी को फिल्मी इतिहास में अमर कर दिया.

 साल 1993 में रिलीज हुई राजकुमार संतोषी की फिल्म दामिनी एक बड़ी हिट साबित हुई. फिल्म में जहां सनी देओल के डायलॉग आज भी बच्चे-बच्चे के जुबान पर हैं, तो वहीं अमरीश पुरी के रोल को कौन भूल सकता है. फिल्म में अमरीश पुरी के बैरिस्टर इंदरजीत चड्ढा के किरदार ने दामिनी को फिल्मी इतिहास में अमर कर दिया.

साल 1995 में आदित्य चोपड़ा की दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में अमरीश पुरी ने एक ऐसे बाप का किरदार निभाया था, जिसे पैसा कमाने के लिए परदेश जाना पड़ता है. इतने साल विदेश में रहने के बावजूद वो अपने देश की मिट्टी की खुशबू को नहीं भूलता. फिल्म में अमरीश पुरी के कड़क बाप वाले रोल को दर्शकों ने इतना पसंद किया कि फिल्म फेयर के बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर उनका नॉमिनेशन भी हुआ था.

 साल 1995 में आदित्य चोपड़ा की दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में अमरीश पुरी ने एक ऐसे बाप का किरदार निभाया था, जिसे पैसा कमाने के लिए परदेश जाना पड़ता है. इतने साल विदेश में रहने के बावजूद वो अपने देश की मिट्टी की खुशबू को नहीं भूलता. फिल्म में अमरीश पुरी के कड़क बाप वाले रोल को दर्शकों ने इतना पसंद किया कि फिल्म फेयर के बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर उनका नॉमिनेशन भी हुआ था.

सिर्फ बॉलीवुड में ही नहीं साल 1984 में अमरीश ने अंग्रेजी फिल्म इंडियाना जोंस से हॉलीवुड में भी तहलका मचा दिया. स्टीवन स्पीलबर्ग की इस फिल्म में अमरीश ने पहली बार सिर मुंडवाया और फिल्म में उनके किरदार मोला राम को इतना पसंद किया गया कि उसके बाद अमरीश लगभग अपनी हर फिल्म में बिना बाल के नजर आने लगे. स्पीलबर्ग ने अमरीश की तारीफ करते हुए कहा, अमरीश मेरे फेवरेट विलेन हैं.

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