ब्रज में हुई कुआ वाले बाबा की पूजा अर्चना

महिलाओं ने पूजा कर की बच्चों की दीर्घायु की कामना
— गांवों से बाहर पूजा को लगा महिला बच्चों का तांता
मथुरा। आषाढ़ मास के दूसरे सोमवार को कुआ वाले बाबा की पूजा अर्चना व जात को जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। गांवों के रास्तों में परम्परागत गीतों के स्वर गुंजायमान हो रहे थे। गांवों से बाहर निकलकर जंगलों में कुआ वाले बाबा की महिलाओं ने अपने बच्चों सहित पहुंचकर पूरे रीति रिवाज के साथ पूजा अर्चना कर उनके दीर्घायु की कामना की।
बतादें कि आषाढ़ माह के प्रत्येक सोमवार को कूआं वारे बाबा की जात लगाने की रिवाज वर्षों से चली आ रही है। इसी परम्परा को निभाने के लिए महिलाओं ने अपने बच्चों के ऊपर कुल्ली में दूध भर व बतासा रखकर उसारा उसको ले जाकर कुआ पर रख दिया। उसके बाद कुआ वाले बाबा को अढावरी का भोग लगाया। वहीं बैठकर बच्चों सहित भोजन किया। उसके बाद बच्चों के माथे पर मंगल तिलक किया। बच्चों ने महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इसी परम्परा को निभाती हुई बरसाना, गोवर्धन, पलसों, हाथिया, कमई, संकेत, नंदगांव, रीठौरा, जाब, बठैन, कोसीकलां, छाता, शेरगढ,चौमुहां, राया, बल्देव आदि स्थानों में कुआ वाले बाबा की जात लगाने के लिए महिला बच्चों की भीड़ उमड़ पड़ी। कस्बा सुरीर के सैनानी द्वार के समीप प्राचीन कूआं पर दूसरे सोमवार को महिलाएं कूआं वारे बाबा की जात के लिए पूजा अर्चना कर अपने बच्चों की सलामती एवं रोग दोष से मुक्ति को प्रार्थना करती की। नाचते-गाते महिलाओं कूआं पर पूजा अर्चना कर बच्चों की सलामती की कामना की।

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